scriptएनजीटी के प्रावधानों का  उल्लंघन कर झील में सीधे ही डाला जा रहा 16 नालों का गंदा पानी | Dirty water of 16 drains being discharged directly into the lake in v | Patrika News

एनजीटी के प्रावधानों का  उल्लंघन कर झील में सीधे ही डाला जा रहा 16 नालों का गंदा पानी

locationअजमेरPublished: Aug 23, 2020 10:10:24 pm

Submitted by:

bhupendra singh

काम नहीं आर रही नगर निगम की इंजीनियरिंग

anasagar

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अजमेर.ऐतिहासिक आना सागर aanasagar lake झील में नालों का गंदा पानी Dirty water जाने से रोकने के लिए नगर निगम के अभिंयताओं द्वारा अपनाई गई तकनीक फेल साबित हो रही है। झील में गंदे नालों का पानी धड़ल्ले से जा रहा discharged है। इससे झील का पानी दूषित हो रहा है। झील में 16 नालों का गंदा पानी 16 drains सीधे ही डाला जा रहा है। यह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल violation of NGT provisions(एनजीटी) के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है। नगर निगम ने ढाई साल पूर्व चौरसियावास नाले का पानी सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट में डाइवर्ट करने के लिए गुलमर्ग होटल के सामने नाले में अमृत योजना के तहत डाइवर्जन ऑफ ड्राइवेदर फ्लो प्लांट बनाया गया था। इस पर 30 लाख रुपए खर्च हुए थे। इस प्लांट के जरिए नाले का पानी सीवर लाइन में डाला जाता है। इसके बाद यह 13 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के जरिए फिल्टर होकर पुन: झील में डाला जाता है,लेकिन यह प्लांट पिछले कई महीनों से बंद है। नाले का गंदा पानी सीधे ही झील में जा रहा है।
प्लांट से पहुंचता है नालों का 5 एलएलडी गंदा पानी

अमृत के अलावा स्मार्ट सिटी के तहत बांडी नदी में भी ऐसा ही प्लांट ढाई साल पूर्व बनाया गया था लेकिन यह भी बंद पड़ा है। गंदा पानी सीधे ही आना सागर में डाला जा रहा है। इससे भी 3.5 एमएलडी पानी एसटीपी पहुंचता है। पिछले साल बरसात के बाद से ही यह प्लांट बंद पड़ा है गंदा पानी सीधे ही झील में जा रहा है। बांडी नदी व काजी के नाले में लगाए गए प्लांट के जरिए जरिए करीब 5 एमएलडी गंदा पानी एसटीपी तक पहुंचता है जहां इसे ट्रीट का पुन: आनासागर में डाला जाता है।
झील में नहीं बढ़ा ऑक्सीजन का स्तर

काजी नाले के लिए 3.5 एमएलडी गंदा पानी झील में गिरता है। इसका बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी)135 है। जबकि एसटीपी से ट्रीट होने के बाद इसका बीओडी केवल 10 ही रह जाता है जो एनजीटी के प्रावधानों के भी अनुकूल है। लेकिन ऐसा नही हो रहा है।
ना नाले जुड़े और ना सीवर कनेक्शन ही हुए

इंजीनियरों की योजना थी हर घर को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा। घर की रसोई व शौचालय के गंदे पानी की निकासी को सीवर लाइन से जोड़ दिया जाए। इससे घरों का गंदा पानी नालियों के जरिए नाले में नहीं जाएगा और इस तरह यह झील तक भी नहीं पहुंचेगा। इसके अलावा नालों को भी सीवर लाइन से जोडऩे की योजना भी बनाई गई थी। लेकिन नाले सीवर लाइन से नहीं जोड़े सके। सीवर लाइन नालों को जोडऩे के हिसाब से डिजाइन भी नहीं की गई है। शहर में लक्ष्य के अनुरूप 84 हजार सीवर कनेक्शन किए जाने है लेकिन अब तक केवल 42 हजार सीवर कनेक्शन ही अब तक किए जा सके। शहर का बड़ा क्षेत्र अभी भी सीवर लाइन से वंचित है। कई जगह जहां सीवर लाइन डाली गई है वहां मिसिंग लिंक की समस्या है।

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