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दिव्यांगता नहीं बाधक, मनोबल की सीढ़ी से प्राप्त कर सकते हैं मंजिल

locationअजमेरPublished: Sep 26, 2021 04:21:49 pm

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CP

साढ़े तीन साल की उम्र में दृष्टि खो चुकी, फि र रेलवे उद््घोषक बनीए बन ब्लाइंड बालिकाओं को सिखा रही हैं संगीत, अजमेर निवासी उषा गुप्ता को कंठस्थ है रामचरित मानस

दिव्यांगता नहीं बाधक, मनोबल की सीढ़ी से प्राप्त कर सकते हैं मंजिल

दिव्यांगता नहीं बाधक, मनोबल की सीढ़ी से प्राप्त कर सकते हैं मंजिल

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. जिन्दगी में कुछ भी असंभव नहीं है। दृष्टिबाधित एव दिव्यांगजन को मनोबल बनाए रखने की आवश्यकता है। मनोबल की सीढ़ी से हर मंजिल प्राप्त की जा सकती है। हिम्मत एवं जज्बे के सामने शारीरिक कमी एवं परेशानी भी गौण हो जाती है। दृष्टिबाधित एवं दृष्टिहीन व्यक्ति ऐसे बच्चों एवं बच्चियों की जिन्दगी संवार सकते हैं, जिससे वे जिन्दगी भर हिम्मत के साथ लड़ रहे हैं। शारीरिक विकलांगता एवं दिव्यांगता के बावजूद वह सब कुछ पाया जो एक सामान्य व्यक्ति लम्बे संघर्ष के बाद भी हासिल नहीं कर पाता है।
यह मानना है अजमेर निवासी दृष्टिबाधित उषा गुप्ता है। मात्र साढ़े तीन साल की उम्र में दिमागी बुखार से पीडि़त होने से आंखों की रोशनी हमेशा-हमेशा के लिए चली गई। लेकिन पढ़ाई की जिद एवं जिन्दगी में कुछ कर गुजरने का सपना संजोने के लिए ब्रेल लिपी सीखी। ब्रेल लिपी के माध्यम से स्कूली शिक्षा हासिल की फिर म्यूजिक में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद रेलवे में सरकारी नौकरी लग गई। वह अभी भी बैचलर की जिन्दगी जी रही हैं।
रेलवे में उद्घोषक बनी, रेलवे स्टेशन पर गूंजती रही बरसों तक आवाज

पढ़ाई के बाद रेलवे में नौकरी लगी और उद्घोषक की नौकरी की। उषा गुप्ता बताती हैं कि बरसों तक रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सूचना व जानकारी के लिए उद्घोषक की भूमिका अदा की। सेवानिवृति होने के बाद सामाजिक व धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़ कर काम कर रही हैं।दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) छात्राओं को सिखा रहीं है संगीतउषा गुप्ता शास्त्रीनगर स्थित लाडली सेवा घर की ओर संचालित दृष्टिबाधित छात्राओं के आवासीय स्कूल में संगीत सिखा रही हैं। कई बच्चियों को संगीत सिखाने के पीछे मकसद है कि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी जिन्दगी यापन के लिए संगीत को जरिया बना सकें। वे खुद हारमोनियम, पियानो, ढोलक-तबला आदि का वादन भी कर लेती हैं।
रामचरित मानस कंठस्थ

उषा गुप्ता को दिखाई नहीं देने के बावजूद रामचरित मानस पूरी कंठस्थ है। हारमोनियम के साथ संगीत के साथ रामचरित पारायण पाठ करती हैंए सुंदरकांड के पाठ करती हैं।…………..रिपोर्ट- चन्द्र प्रकाश जोशी
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