रेलवे में उद्घोषक बनी, रेलवे स्टेशन पर गूंजती रही बरसों तक आवाज पढ़ाई के बाद रेलवे में नौकरी लगी और उद्घोषक की नौकरी की। उषा गुप्ता बताती हैं कि बरसों तक रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सूचना व जानकारी के लिए उद्घोषक की भूमिका अदा की। सेवानिवृति होने के बाद सामाजिक व धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़ कर काम कर रही हैं।दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) छात्राओं को सिखा रहीं है संगीतउषा गुप्ता शास्त्रीनगर स्थित लाडली सेवा घर की ओर संचालित दृष्टिबाधित छात्राओं के आवासीय स्कूल में संगीत सिखा रही हैं। कई बच्चियों को संगीत सिखाने के पीछे मकसद है कि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी जिन्दगी यापन के लिए संगीत को जरिया बना सकें। वे खुद हारमोनियम, पियानो, ढोलक-तबला आदि का वादन भी कर लेती हैं।
रामचरित मानस कंठस्थ उषा गुप्ता को दिखाई नहीं देने के बावजूद रामचरित मानस पूरी कंठस्थ है। हारमोनियम के साथ संगीत के साथ रामचरित पारायण पाठ करती हैंए सुंदरकांड के पाठ करती हैं।…………..रिपोर्ट- चन्द्र प्रकाश जोशी