ड्यूटी, घर, ना गांव. . .
पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कार्य प्रणाली शाखा में तैनात गगवाना निवासी सिपाही सेठूराम यादव बीते एक साल (जून 2019) से अपने कार्य स्थल पर नहीं है। ना ही अपने घर और गांव में मौजूद है। एसपी कार्यालय से सिपाही सेठूराम यादव के घर पर नोटिस भेजे जाने पर घरवालों ने उसकी जानकारी नहीं होना बताया। हालांकि मामले में संबंधित थाने में गुमशुदगी भी दर्ज नहीं है।
दांव पर लगी है करोड़ों की रकम सूत्रों के मुताबिक सिपाही सेठूराम बीते 10 साल से रिश्तेदारों के नाम से जमीन की खरीद-फरोख्त का धंधा करता आ रहा है। तब से वह अपने आसपास मौजूद पुलिस अधिकारी, सिपाहियों और शहर के व्यापारियों से 2 रुपए सैकड़े के ब्याज पर रकम लेकर संपत्ति की खरीद-फरोख्त का काम कर रहा है। डेढ़ साल पहले तक सबकुछ ठीक था, लेकिन कायड़ विश्रामस्थली के निकट खरीदी गई जमीन पर एडीए की ओर से काम रुकवाए जाने के बाद उसका एक बार बिगड़ा खेल फिर बिगड़ता ही चला गया।
ब्याज के लालच में अफसरों तक ने गंवाए सिपाही सेठूराम के फेर में एक-दो नहीं बल्कि पचास से ज्यादा पुलिस अधिकारी, जवान आ गए। इसमें जिला विशेष शाखा(ड़ीएसबी) में पूर्व में तैनात एक निरीक्षक के तो करीब 50 लाख रुपए दांव पर लगे हुए हैं। इसके अलावा कार्य प्रणाली शाखा(एमओबी), फोरेंसिक लेब व एसपी कार्यालय में तैनात सिपाहियों ने उसे 2 से 6 लाख रुपए तक उधार दे रखे थे। सालों से समय पर मिलते ब्याज के लालच में कुछ पुलिस अधिकारी व सिपाहियों ने तो सारी जमा-पूंजी ही उसे सौंप दी। इसके अलावा शहर के कबाड़ी बाजार का हार्डवेयर व्यवसायी, गगवाना, चांदियावास, गेगल के ग्रामीण समेत कई लोग शामिल हैं।
सेडूराम पीडि़त ‘ग्रुपÓ
सिपाही सेठूराम यादव से त्रस्त पुलिस कर्मियों ने तो सोशल मीडिया पर एक ग्रुप भी बना लिया है। जिसको सेडूराम पीडि़त ग्रुप नाम दिया है। इसमें पुलिस अधिकारी व सिपाही शामिल हैं। हालांकि एक सिपाही ने चेक बाउंस होने की स्थिति में चेक अनादरण का कोर्ट में इस्तगासा भी दायर किया है।
इनका कहना है… सिपाही ड्यूटी पर नहीं आ रहा है तो जिला पुलिस के लिए वो सिर्फ गैरहाजिर का मामला है। रुपए लेन-देन के संबंध में कोई रिपोर्ट मिलेगी तो मुकदमा दर्जकर कार्रवाई की जाएगी।
कुंवर राष्ट्रदीप, पुलिस अधीक्षक