अंख मूंदकर नहीं करें फॉलो
दरगाह दीवान ने कहा कि सोशल मीडिया हिंसा करने वालों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका इस्तेमाल फेक न्यूज और गलत सूचना फैलाने, लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए किया जा रहा है। युवाओं को सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो को आंख मूंदकर फॉलो और शेयर नहीं करना चाहिए। दान, उपवास और प्रार्थना लोगों के बीच शांति और अच्छे संबंधों के लिए जरूरी है। इस्लाम अपने अनुयायियों से क्षमा का उपयोग करने और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का आह्वान करता है। शांति, आपसी सम्मान और विश्वास मुसलमानों के दूसरों के साथ संबंधों की नींव है। कुरान के अनुसार शांति शांतिपूर्ण साधनों से ही प्राप्त की जा सकती है। जो लोग इस्लाम के नाम पर शहादत के लिए बेगुनाहों की हत्या करते हैं, उन्हें अपने कार्यों पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस्लाम मजहब के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता। उन्होंने धर्म के नाम पर हो रही हिंसा की निंदा करते हुए सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
दरगाह दीवान ने कहा कि सोशल मीडिया हिंसा करने वालों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका इस्तेमाल फेक न्यूज और गलत सूचना फैलाने, लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए किया जा रहा है। युवाओं को सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो को आंख मूंदकर फॉलो और शेयर नहीं करना चाहिए। दान, उपवास और प्रार्थना लोगों के बीच शांति और अच्छे संबंधों के लिए जरूरी है। इस्लाम अपने अनुयायियों से क्षमा का उपयोग करने और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का आह्वान करता है। शांति, आपसी सम्मान और विश्वास मुसलमानों के दूसरों के साथ संबंधों की नींव है। कुरान के अनुसार शांति शांतिपूर्ण साधनों से ही प्राप्त की जा सकती है। जो लोग इस्लाम के नाम पर शहादत के लिए बेगुनाहों की हत्या करते हैं, उन्हें अपने कार्यों पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस्लाम मजहब के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता। उन्होंने धर्म के नाम पर हो रही हिंसा की निंदा करते हुए सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।