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बोले डॉक्टर्स और रेजीडेंट-मत टकराओ हमसे, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान

locationअजमेरPublished: Dec 03, 2017 08:37:25 am

Submitted by:

Prakash Chand Joshi

सरकार के लिए फिर से हड़ताल होने पर अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। यह हालात हड़ताल में दिख चुके हैं।

doctors and resident warn govt

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अजमेर।

पूर्व में हुई हड़ताल के बाद सरकार के एक्शन लेने से डॉक्टर और रेजीडेंट नाराज हैं। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट एवं सेवारत चिकित्सकों ने जेएलएन अस्पताल की कैज्युल्टी के सामने प्रदर्शन किया। राज्य सरकार की ओर से सेवारत चिकित्सकों एवं रेजीडेंट चिकित्सकों से हुए समझौते को लागू नहीं करने एवं दमनात्मक तरीके से चिकित्सकों के अन्य जिलों में तबादलों को निरस्त नहीं करने पर आक्रोश जताया।
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश प्रतिनिधि एवं जिला उपाध्यक्ष डॉ. अनन्त कोटिया ने बताया कि सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल, सामूहिक त्यागपत्र के बाद प्रदेश कार्यकारिणी शिष्टमंडल के साथ हुए समझौते को लागू नहीं किया जा रहा है। वहीं जेएलएन मेडिकल कॉलेज के राजस्थान रेजीडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र लामरोड़ ने बताया कि अगर समय रहते सेवारत चिकित्सक संघ के समझौते को जल्द लागू नहीं करने व रेजीडेंट की मांगों का समाधान नहीं करने पर फिर आंदोलन करना पड़ेगा।
उधर, सेवारत चिकित्सक संघ ने 72 घंटे की चेतावनी दी है जो रविवार को पूरी हो जाएगी। डॉ. कोटिया ने बताया कि संघ की ओर से सरकार का विरोध किया जा रहा है मगर आमजन के स्वास्थ्य को लेकर चिकित्सक गंभीर हैं। आमजनता को भी सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि जो चिकित्सकों के साथ समझौता हुआ वो लागू हो और जो दमनात्मक तरीके से स्थानांतरण किए गए हैं उन्हें निरस्त किया जाए।
चिकित्सकों का कार्य बहिष्कार जारी

राजकीय सामान्य चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सकों ने शनिवार को चौथे दिन भी दो घंटे कार्य का बहिष्कार किया। गत दिनों अपनी मांगों के समर्थन में सरकार के साथ हुए समझौते के बाद तबादला नीति के विरोध में सुबह चिकित्सकों ने आउटडोर के बाहर टेंट व टेबल लगाकर रोगियों की जांच की।
सरकार भी लडऩे को तैयार

बीते नवम्बर में सेवारत डॉक्टर्स की प्रदेश व्यापी हड़ताल से राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार सरकार डॉक्टर्स और रेजीडेंट्स से लडऩे के लिए तैयार दिख रही है। जिस तरह हड़ताल की अगुवाई करने वाले चिकित्सकों के तबादले हुए हैं, उसको देखते हुए सरकार समझौते के मूड में नहीं है। हालांकि सरकार के लिए फिर से हड़ताल होने पर अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। यह हालात हड़ताल में दिख चुके हैं।

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