संघ के उपाध्यक्ष अनन्त कोटिया ने बताया कि सरकार की हठधर्मिता के चलते सेवारत चिकित्सक संघ की मांगों पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से आगाह किया है कि राजस्थान के स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बनाए गए इस 33 सूत्री श्वेत पत्रिका का जल्द क्रियान्वयन किया जाए जिससे राजस्थान की जनता को सोमवार से होने वाले कष्ट से बचाया जा सके। चिकित्सकों के सामूहिक त्यागपत्र से सोमवार से ही सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला अस्पताल तक कोई भी चिकित्सक नहीं मिलेगा इसके कारण राजस्थान में एक चिकित्सक इमरजेंसी हो जाएगी। इसके बावजूद सरकार एक ज्वलंत मुद्दे पर असंवेदनशील हो चुकी है।
डॉ. कोटिया ने बताया कि कार्य बहिष्कार के एक दिन पूर्व अंतिम चेतावनी के रूप में रविवार को सुबह 8.30 बजे सेवारत चिकित्सक बरमूड़े में जेएलएनएच की कैज्युल्टी से बजरंगगढ़ तक पैदल मार्च किया जाएगा। कैंडल मार्च में करीब 400 चिकित्सक, रेजीडेंट चिकित्सक, इन्टर्न व यूजी के छात्र-छात्राएं शामिल हुए। संघ के अध्यक्ष प्रदीप जयसिंघानी, महासचिव डॉ. शैलेन्द्र लखन,
अजमेर जोन के संयुक्त निदेशक डॉ. गजेन्द्र सिंह सिसोदिया, आरसीएचओ डॉ. रामलाल चौधरी सहित अन्य चिकित्सकों ने भी भाग लिया।
जेएलएन अस्पताल पर बढ़ेगा दबाव सेवारत चिकित्सकों के 6 नवम्बर से कार्य बहिष्कार की घोषणा एवं सामूहिक इस्ताफा देने से चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ाने की आशंका है। जिलेभर में चिकित्सकों के कार्य पर नहीं आने की स्थिति में जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में मरीजों का दबाव बढऩे की आशंका है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से जिला अस्पतालों के सभी चिकित्सकों की ओर से संघ को त्याग पत्र सौंपने व संघ की ओर से निदेशालय को सौंपने के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वहीं संघ पदाधिकारियों से भी फिलहाल किसी तरह की बातचीत नहीं की गई है, ऐसे में स्थिति बिगड़ सकती है। जेएलएन अस्पताल में भी कार्यरत सेवारत चिकित्सक आंदोलनरत हैं, वहीं इनके अवकाश में चले जाने के बाद आचार्य, सहायक आचार्य सभी पर काम का बोझ बढ़ेगा।
…तो अन्य चिकित्सकों का भी समर्थन
संघ की मांगें नहीं मानने एवं कार्य बहिष्कार के बाद बढ़ते मरीजों के दबाव की स्थिति में जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक, रेजीडेंट, इन्टर्न छात्र-छात्राओं की ओर से भी समर्थन दिए जाने के संकेत हैं। ऐसे में प्रदेश भर में स्थिति विकट होने की आशंका जताई जा रही है।
अधिकारी भी उतरे मैदान में
चिकित्सकों पर नियंत्रण रखने वाले मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, संयुक्त निदेशक सहित अन्य अधिकारी भी चिकित्सकों के साथ मैदान में उतर गए हैं। चिकित्सकों के समूह की मांगों को लेकर अब सरकार के रुख का इंतजार है।