माना जा रहा है कि आगामी वित्तीय सत्र एक अपे्रल से ही विभाग को कुछ अधिकार मिल सकेंगे। यद्यपि वाहनों के जरिए अंतरराज्यीय माल परिवहन पर अब चालक के पास ई वे बिल नहीं होने पर एक फरवरी से कार्रवाई की जाएगी। अभी समझाइश का दौर ही चल रहा है।
जीएसटी के रूप में नए कानून के तहत एकल कर प्रणाली आने के बाद व्यापारियों के इसके अनुसार प्रति माह व मासिक करीब दो दर्जन रिटर्न दाखिले करने थे। इसका विरोध होने के बाद सरकार ने इसमें नरमाई बरतते हुए कुछ रियायतें दीं। रिटर्न की संख्या में कटौती करते हुए वार्षिक व छमाही किया गया।
बाद में जीएसटी का विरोध होने पर कई वस्तुओं की जीएसटी दरें घटाई गईं तो कई को दायरे से बाहर किया गया। इससे लोगों को राहत मिली। हाल ही में सरकार ने इसमें फिर रियायत करते हुए आमजन को राहत दी है।
इस संबंध में व्यापारियों का कहना है कि देश में जरूरत व रोजमर्रा की चीजों को बाहर रखना चाहिए या उनमें कम से कम टैक्स लगाना चाहिए। पहली बार ही ऐसा हो जाता तो सरकार को बार-बार संशोधन करने की जरूरत नहीं पड़ती। पर अब सरकार ने राहत दी है जिससे आमजन व व्यापारियों की परेशानियां कम होने की उम्मीद है। आगामी बजट में सरकार को कुछ और जरूरी वस्तुओं की कीमतों में कमी करनी चाहिए।
विभागों में भी असमंजस की स्थिति है। कर वसूली नहीं हो पा रही। व्यापारी कितना माल ला रहा है इसका अंदाजा सरकार को नहीं हो पा रहा, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
वाणिज्य कर विभाग के उपायुक्त प्रशासन दिनेशचंद गुप्ता ने बताया कि जीएसटी लागू होने के साथ ही वाणिज्य व बिक्री कर की चैकिंग जब्ती व जुर्माने संबंधी गतिविधियां स्वत: ही समाप्त हो गई थीं। नए आदेश आने के साथ ही कामकाज शुरू हो जाएगा। व्यापारियों को ई वे बिल की समझाइश के बाद एक फरवरी से इसे सख्ती से लागू किया जाएगा।