स्थानीय खाद्य तेल कारोबारी ईशाक खान ने बताया कि कब उत्पादन के चलते मांग के हिसाब से आपूर्ति कम हो रही है। फलस्वरूप सरसों के दामों में रेकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है। हालांकि सरकारी स्टॉक की बिकवाली के बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। मार्च-अपे्रल माह में 10 किलो सरसों के तेल के दाम जहां 900 रुपए के आस-पास थे, वहीं अब 1050 तक पहुंच चुके है। आलम है कि सरसों की आवक काफी कम होने से शहर की कई तेल मिलों में उत्पादन नगण्य हो गया है।
केन्द्र सरकार ने की बम्पर खरीद
कारोबारियों का कहना हैं कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार ने सरसों की रिकॉर्ड खरीद की थी। साथ ही सरसों के बाजार भाव 38 सौ से 4 हजार के बीच रहे। जबकि सरकारी खरीद में 44 सौ तक दाम मिले। साथ ही सरसों की आवक के पीक सीजन में लॉकडाउन के चलते मंडी बंद रहने से कई किसान मण्डी तक अपनी उपज को लेकर नहीं पहुंच सके। वहीं कई किसानों ने सरकारी खरीद केन्द्र पर अपनी उपज का बेचान किया। सरकारी खरीद का माल अभी गोदामों में ही रखा हुआ है। सरसों के गत 5 वर्ष के अधिकतम भाव
5 हजार तक बिकी सरसों
पिछले 5 वर्षों के मुकाबले सरसों के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बाजार में सरसों की आवक से अधिक मांग बनी हुई है। ऐसे में अभी दामों में मजबूती देखने को मिल सकती है।
-गोविन्द गुप्ता, आढ़तिया एवं व्यापार मंडल अध्यक्ष गंगापुरसिटी।
वर्ष अधिकतम भाव
2014-15 5500 2015-16 4250
2016-17 4350 2017-18 4500
2018-19 4350 2019-20 5081 मण्डी में 5 दिन में सरसों के अधिकतम दाम व आवक
दिनांक अधिकतम दाम आवक(कट्टे) 30 जुलाई 4660 314
31 जुलाई 5033 402
04 अगस्त 4900 128
05 अगस्त 4914 323 06 अगस्त 5081 644