अजमेर

इस स्पेशल लॉकर में होगी सबकी जन्मकुंडली, 24 घंटे रहेगा नजरों के सामने

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अजमेरSep 25, 2018 / 04:40 pm

raktim tiwari

digital documents of students

अजमेर.
विद्यार्थियों को कॉलेज और विश्वविद्यालयों में लाइनों में धक्के खाने, फीस जमा कराने जैसी मुसीबतों से जल्द छुटकारा मिलेा। सभी संस्थाओं को अंकतालिका,डिप्लोमा और डिग्री सहित परीक्षा फार्म, फीस, स्टाफ, कोर्स, रिसर्च और प्लेसमेंट का डिजिटल डाटा बैंक बनाना होगा। यूजीसी में संस्थाएं पंजीयन करा चुकी हैं। अब उन्हें शीघ्र कामकाज शुरू करना होगा।
केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र’ (नेशनल एकेडेमिक डिपॉजिटरी) योजना के तहत सभी उच्च, तकनीकी, प्रबंधन और अन्य संस्थानों को दस्जावेजों का डिजिटल डाटा बैंक तैयार करना है। यह बैंक में रुपए रखने जैसी प्रणाली पर कार्य करेगा। योजनान्तर्गत स्नातक/स्नातकोत्तर और अन्य पाठ्यक्रमों की डिग्री, डिप्लोमा, अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज डिजिटल प्रारूप में 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगे। विद्यार्थी फीस देकर वे ऑनलाइन प्रिंट ले सकेंगे।
संस्थाओं को कोड आवंटित

अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण के पोर्टल पर सभी संस्थाओं को विशिष्ट कोड दिए गए हैं। कोड संस्था की पहचान होगी। इसमें संबंधित यूनिवर्सिटी और कॉलेज का पूरा डाटा संरक्षित रहेगा। अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को यू-0408, एसपीसी-जीसीए को सी–29102, लॉ कॉलेज को सी-29016, राजकीय कन्या महाविद्यालय को सी-2018, संस्कृत कॉलेज को सी-26144, डीएवी कॉलेज को सी-13077, आयुर्वेद नर्सिंग कॉलेज को को सी-26242 कोड दिया गया है।
संस्थाओं-विद्यार्थियों को फायदा

-विद्यार्थियों को 24 घंटे मिल सकेंगे डिजिटल दस्तावेज

-संस्थानों को ई-पेमेन्ट या ई-चालान से मिलेगा शुल्क

-भर्ती परीक्षाओं, नियुक्तियों के दौरान दस्तावेजों का सत्यापन आसान

-सभी सूचनाएं मौजूद रहेंगी पोर्टल पर देश में उच्च/तकनीकी शिक्षण संस्थान
फैक्ट फाइल….

राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी-874

केंद्रीय विश्वविद्यालय-47

कॉलेज-45 से 47 हजार

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-23

भारतीय प्रबंधन संस्थान-20

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी-22

अध्ययनरत विद्यार्थी-5 करोड़ 5 लाख

(स्त्रोत-यूजीसी)
ना यह देखते, सुनते और कुछ करते हैं, नहीं है इनका कोई जवाब

महर्षि दयानन्दसरस्वती विश्वविद्यालय की विभिन्न शोध पीठ में ना नकद पुरस्कार ना शोध कार्यों की शुरुआत हुई है। योजना फाइलों में ही घूम रही है। लेकिन इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह की अध्यक्षता में बीते वर्ष सिन्धु शोध पीठ, डॉ. भीमराव अंबेडकर शोध पीठ, सम्राट पृथ्वीराज चौहान शोध पीठ अैार महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ की बैठक हुई थी। सभी शोधपीठ में सालाना व्याख्यान, शोधपत्र लेखन, कार्यशाला, लेखन कार्यक्रम, विषय आधारित प्रश्नोतरी लेख, शोधपत्र, पुस्तक आमंत्रण जैसे प्रस्ताव बनाए गए।
नहीं शुरू हुए शोध कार्य?

आमजन को शोध और चारों पीठ से जोडऩे के लिए शोध कार्य की शुरुआत होनी है। यहां अपंजीकृत स्वतंत्र एवं वास्तविक शोधकर्ता को नियमित शोध के लिए प्रतिमाह तीन हजार रुपए (1वर्ष) दिए जाने हैं। इसके लिए शोधकर्ता को 100 रुपए के स्टाम्प पर वास्तविक शोध प्रपत्र प्रस्तुत करने की अनिवार्यता रखी गई है। नियमावली बनने के बावजूद शोध कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं।
 

 

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