scriptकृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का साया : झांकियां सजेंगी ना मंदिरों में होगी कोई भीड़ | Effect of Corona on Sri Krishna Janmashtami in Ajmer District | Patrika News

कृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का साया : झांकियां सजेंगी ना मंदिरों में होगी कोई भीड़

locationअजमेरPublished: Aug 12, 2020 12:24:07 am

Submitted by:

suresh bharti

मंदिरों पर चार माह से लटके हैं ताले, सरकारी गाइड लाइन के अनुसार कोई सार्वजनिक समारोह नहीं होगा, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर केवल मंदिर पुजारी रहेंगे सक्रिय, श्रद्धालु घरों पर ही मनाएंगे कान्हा का जन्मोत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का साया : झांकियां सजेंगी ना मंदिरों में होगी कोई भीड़,कृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का साया : झांकियां सजेंगी ना मंदिरों में होगी कोई भीड़

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sjmer अजमेर. जिले में इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समारोह पर कोरोना का साया है। चार माह से मंदिरों के गेट बंद है। श्रद्धालु केवल बाहर ही मत्था टेका प्रभु का स्मरण कर रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बुधवार को सादगी से मनाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते अजमेर शहर सहित पूरे जिले के मंदिरों में कहीं भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। मंदिरों में किसी तरह की झांकियां नहीं सजेंगी। प्रसाद भी नहीं बांटा जाएगा। घरों में झांकियां और पूजन कार्यक्रम होगा। मदिर पुजारी ही अद्र्ध रात्रि को जन्म आरती कराएंगे।
जन्मोत्सव की कहीं नहीं रौनक

भाद्रपक कृष्ण पक्ष अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते नवरात्र, रक्षाबंधन और अन्य पर्वों की तरह जन्माष्टमी पर भी मंदिरों, सार्वजनिक स्थानों पर रौनक नहीं रहेगी। इस साल अजमेर के आजाद पार्क में मथुरा-वृंदावन सा नजारा नहीं दिखेगा। नगर निगम के तत्वावधान में झांकियां नहीं सजेंगी।
घरों-मंदिरों में होगी आरती

कन्हैया के धरती पर जन्म लेने पर अद्र्ध रात्रि 12 बजे महाजन्म आरती होगी। साथ ही पंजरी-मिश्री-दही युक्त विशेष प्रसाद वितरण होगा। लोग यशोदानंदन के दर्शन कर व्रत-उपवास खोलेंगे। श्री सांवरिया सेठ मंडल पुरानी मंडी के तत्वावधान में अद्र्धचंदेश्वर महादेव और श्री सगाई वाले बालाजी शिवबाग मंदिर में पुजारी ही पूजा-अर्चना करेंगे। पंचामृत स्नान, कान्हा के बधाई गीत, विशेष श्रृंगार, पंचामृत से स्नान एवं जन्म के बाद भोग लगाया जाएगा।
यहां भी मनाई जाएगी जन्माष्टमी

अजमेर शहर के मंदिरों में साधारण कार्यक्रम होंगे। प्रेम प्रकाश आश्रम मार्ग वैशालीनगर स्थित झूलेलाल मंदिर, श्री निम्बार्कगोपीजन वल्लभ मंदिर निम्बार्क कोट मंदिर में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। रात्रि में महा-आरती कर प्रसाद वितरण होगा। पुष्पों से फूल बंगला सजाया जाएगा। श्री नगर रोड स्थित हालाणी दरबार में गोपाल सहस्र नाम का पाठ किया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाएगा। श्री राधा कृष्ण चेरिटेबल ट्रस्ट नाका मदार के तत्वावधान में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। राधा गोविंद धाम में बधाई गीत पेश किए जाएंगे।
सेनेटाइजर की व्यवस्था

राधाकृष्ण मंदिर नाका मदार के पुजारी विकल्प दाधीच ने बताया कि परिसर में सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं को मास्क पहनना जरूरी होगा। दर्शन और परिक्रमा लगाने के बाद लोगों को तत्काल बाहर निकलने का आह्वान किया गया है। प्रसाद भी पैकेट में रखकर दिया जाएगा। मंदिर में पारम्परिक सजावट की जाएगी।
पुष्कर के रामानुज मंदिरों मेंं 10 सितम्बर को जन्माष्टमी

पुष्कर. रामानुज संप्रदाय के श्रीरमा वैकुण्ठनाथ बांगड़ मंदिर व पुराना रंगनाथ बेणुगोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व 10 सितम्बर को मनाया जाएगा। नए रंगजी मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।दक्षिणी पूजा पद्धति के पुजारी इसी नक्षत्र का अनुसरण करते हुए 10 सितम्बर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। कोरोना के चलते मंदिर में बाहरी श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तथा एकादशी तिथि से राखी पूनम तिथि तक पांच दिन की अवधि में पवित्र उत्सव भी मनाया जाएगा।
सांकेतिक लठ्ठोत्सव आयोजन

पुष्कर के इन दोनों मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दूसरे दिन 11 सितम्बर की शाम लठ्ठोत्सव का रंगारंग मनोरंजक आयोजन भी सांकेतिक ही होगा। इसके लिए प्रशासनिक अनुमति के बाद ही परिस्थितियां अनुकू ल होने पर ही श्रद्धालुओं का प्रवेश हो सकेगा। इसमें 25 फीट लम्बी दानामेथी व चिकनी मिट़्टी के लेप युक्त लकड़ी की बल्ली पर पानी की बौछारों के बीच फंदे लगाकर चढ़ा जाता है। बल्ली के अंतिम सिरे पर बंधी झंडी तोडऩे की प्रतिस्पद्र्धा होती है।
तीन बार मनेगी जन्माष्टमी

पुष्कर में इस बार जन्माष्टमी पर्व तीन बार मनाई जा रही है। कई धर्मस्थलों के अनुयायियों ने 11 अगस्त को यह पर्व मनाया। अधिकतर 12 अगस्त को सूर्योदय को साक्षी मानकर यह पर्व मनाएंगे। नए व पुराने रंगनाथ मंदिरों में यह पर्व रोहिणी नक्षत्र को आधार मानकर 10 व 11 सितम्बर को मनाया जाएगा।

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