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#election 2018 : कांग्रेस और बीजेपी की खास गणित, जीत के लिए बूथ मैनेजमेंट पर फोकस

locationअजमेरPublished: Sep 23, 2018 05:18:34 am

Submitted by:

raktim tiwari

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congress and bjp plan

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अजमेर.

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बूथ प्रबंधन को लेकर विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी का मानना है कि जिस प्रकार लोकसभा उपचुनाव में ‘बूथ जीता चुनाव जीता’ का लक्ष्य रखा था। उसी तर्ज पर इस बार भी कुछ ऐसा ही किया जाएगा। इसमें एक बूथ पर 10 से 12 कार्यकर्ता किसी न किसी रूप में मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक तैनात रहेंगे।
इनमें दो मतदान अभिकर्ता, दो बाहर टेबल पर, चार कार्यकर्ता फील्ड में मतदाताओं से संपर्क करेंगे। इसके साथ वार्ड अध्यक्ष व बूथ स्तरीय अभिकर्ता चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। ब्लॉक कार्यकारिणी के पदाधिकारी व बूथ कमेटी अध्यक्ष क्षेत्र में जनसंपर्क के साथ मतदान के दिन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की जरूरत
ब्लॉक कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही 53 कार्यकर्ता प्रति बूथ सक्रिय होंगे। इसके बाद यह कार्यकर्ता बूथवार वार्ड में जन संपर्क करेंगे। 60 वार्ड अध्यक्षों के साथ समन्वय कर बूथ प्रबंधन को अंजाम दिया जाएगा। अजमेर में संभाग स्तरीय बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन 8 दिसम्बर 2017 को तथा 9 मई 2018 को टोंक में हुआ था। हालांकि वार्ड बार बूथ इकाईयों की बैठकें भी प्रस्तावित थीं, लेकिन वह उतनी प्रभावी रूप से नहीं हो सकी। यही कमजोर कड़ी है जिसको दूर करना होगा। ब्लॉक कार्यकारिणी व डीसीसी पदाधिकारियों के ऐलान के बाद कार्यकर्ता वास्तविक रूप से सक्रिय होंगे। विषय विशेषज्ञों के जरिए बूथ प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कमियों को दूर किया जाएगा

विधानसभा क्षेत्र के 378 मतदान केन्द्रों में से उत्तर विधानसभा में 100 व दक्षिण विधानसभा में 75 पोलिंग बूथ पर कांग्रेस पिछड़ी थी। इन पर किस स्तर पर कमियां रहीं उन्हें दूर किया जाएगा।
भाजपा: बूथ प्रबंधन ही जीत का मूल मंत्र, एक बूथ पर 20 सदस्य

विधानसभा चुनाव में बूथ जीता चुनाव जीता। इसी मूल मंत्र के साथ भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव की तैयारियां जोरों से शुरू कर दी है। बूथ प्रबंधन का कार्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष 25 जून 2016 से शुरू किया गया। एक बूथ पर 20 सदस्य होंगे। इसमें युवा, महिला, व्यापारी वर्ग आदि को प्रतिनिधित्व दिया गया है। विधानसभा क्षेत्र के समस्त बूथों पर बीएलए प्रथम व द्वितीय नियुक्त किए गए हैं। उत्तर व दक्षिण विधानसभावार बूथ स्तरीय सम्मेलन किए जा रहे हैं।
डोर टू डोर, परिवार संपर्क के जरिए केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं तथा पार्टी की विचारधारा लोगों तक पहुंचाने के प्रयास चल रहे हैं।
एक बूथ में करीब 1200 से 1500 मतदाताओं के 200 से 250 घर हैं। मतदाता सूची में पन्ना प्रमुख के जरिए प्रत्येक पन्ने पर अंकित मतदाताओं की सूची के 30 मतदाताओं का एक पन्ना प्रमुख होगा जो इनसे सीधे संपर्क करेगा। इसके बाद बूथ समितियां व शक्ति केन्द्र बनाए गए हैं। शक्ति केन्द्र में 5 से 6 बूथ होते हैं। सम्मेलनों में लाभार्थी, एससीएसटी, ओबीसी सम्मेलनों के जरिए आम लोगों को जोड़े जाने का लक्ष्य है।
कांग्रेस : बूथ सहायक की भूमिका होगी

हाल ही में एआईसीसी के निर्देशो के बाद बूथ सहायक के रूप में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने की बात कही गई है। बूथ प्रबंधन भी इसी तर्ज पर किया जा रहा है।
भाजपा : कैटेगिरी अनुसार बनाएंगे रणनीति
भाजपा ने बूथों को तीन वर्गीकरण में बांटा है। इसमें ए ग्रेड जिसमें कांग्रेस को शत प्रतिशत मत मिले, इसके बाद बी तथा सी केटेगिरी बनाई गई है। ए कैटेगिरी में 100 प्रतिशत, 50 प्रतिशत तथा 25 प्रतिशत से कम मत मिले। इसी क्रम में चुनाव बूथ प्रबंधन कर कमेटियां एक दूसरे की खैरख्वाह बन सकें।
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