अजमेर-उदयपुर खंड के विद्युतीकरण के तहत 6 ट्रैक्शन पावर सप्लाई सिस्टम नसीराबाद, हमीरगढ़, सरेरी, घोसुंडा, मावली व उमरा में स्थापित किए जाने हैं। अजमेर से उदयपुर के सम्पूर्ण खंड के विद्युतीकरण का कार्य दिसम्बर 2018 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
बरसों पुराना है ट्रेक अजमेर-चित्तौड़ और उदयपुर के बीच ट्रेक बहुत पुराना है। ब्रिटिशकाल में यहां मीटर गेज लाइन डाली गई थी। यह लाइन करीब 1995-96 तक ऐसे ही रही। बाद में ब्रॉडगेज में तब्दीली होने पर यहां बड़ी लाइन डाली गई। मौजूदा वक्त अजमेर, चित्तौडगढ़़ और उदयपुर के बीच कई ट्रेन संचालित हैं। इनमें जयपुर-उदयपुर इंटरसिटी भी शामिल है। इससे कई लोग रोजाना आते-जाते हैं।
इलेक्ट्रिक लाइन की कमी 18 वीं शताब्दी में अजमेर में रेलवे विभाग ने पहली लाइन अहमदाबाद तक डाली थी। इसके बावजूद आजादी के बाद अजमेर रेलवे मंडल में इलेक्ट्रिक लाइन पहुंचने में कई वर्ष लग गए हैं। अभी भी अजमेर रेलवे स्टेशन तक इलेक्ट्रिक लाइन नहीं पहुंची है। इसके चलते यहां डीजल इंजन वाली ट्रेन ही संचालित हैं। इसके विपरीत देश के महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालित हो रही हैं।
अब हो सकता है विस्तार चित्तौडगढ़़-अजमेर के बीच इलेक्ट्रिक लाइन डलने से राजस्थान में इसका विस्तार होगा। अभी कोटा-सवाईमाधोपुर तक ही इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालित होती है। इसके अलावा राज्य में कहीं भी इलेक्ट्रिक लाइन नहीं है। आजादी के बाद इलेक्ट्रिक लाइन के विस्तार कार्य में अन्य राज्यों की अपेक्षा राजस्थान काफी पिछड़ा हुआ है। जबकि दक्षिण के राज्य, बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल इसमें काफी आगे हैं। दरअसल रेल मंत्री इन्हीं राज्यों से ज्यादा बनने के कारण ऐसा हुआ है।