script5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी विद्युत चोरी | Electrical theft even after connection of 5 MVA is load | Patrika News

5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी विद्युत चोरी

locationअजमेरPublished: Dec 25, 2020 11:44:31 pm

Submitted by:

Dilip

विद्युत निगम फिर भी ओवरलोड , गड्ढे में जाता निगम और परेशान होते उपभोक्ता
गुणवत्तापूर्ण और बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए विद्युत बोर्ड को भंग कर स्थापित की गई बिजली कंपनी जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से गड्ढ़े में जाती दिख रही है। जहां अभियंताओं की अनदेखी के चलते 13 एमवीए की स्थापित और कार्यरत क्षमता पर मात्र 5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी भारी विद्युत चोरी के चलते निगम का सिस्टम ओवरलोड होकर हांफ रहा है।

5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी  विद्युत चोरी

5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी विद्युत चोरी

विद्युत निगम फिर भी ओवरलोड

– गड्ढे में जाता निगम और परेशान होते उपभोक्ता

राजाखेड़ा. गुणवत्तापूर्ण और बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए विद्युत बोर्ड को भंग कर स्थापित की गई बिजली कंपनी जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से गड्ढ़े में जाती दिख रही है। जहां अभियंताओं की अनदेखी के चलते 13 एमवीए की स्थापित और कार्यरत क्षमता पर मात्र 5 एमवीए का कनेक्शन लोड होने के बाद भी भारी विद्युत चोरी के चलते निगम का सिस्टम ओवरलोड होकर हांफ रहा है।
इतनी बड़ी चोरी के बाद भी निगम अधिकारी इसे रोकने के प्रयासों की जगह कागजी घोड़े दौड़ाकर आंकड़ों की जादूगरी के मास्टरपीस बन चुके हैं। दम तोड़ता निगम का सिस्टम ईमानदार उवभोक्ताओं के लिए आफत बन चुका है। जहां बार बार की अघोषित कटौती, ट्रिपिंग, लो वोल्टेज के चलते उनके कीमती उपकरण खराब हो रहे हैं या विद्युत की अनुपलब्धता के चलते शोपीस बन जाते हैं।
क्या हैं हालात
निगम के राजाखेड़ा बिजलीघर में 8 एमवीए और 5 एमवीए के दो पावर ट्रांसफॉर्मर स्थापित हैं, जो इसकी इंस्टॉल्ड कैपिसिटी माने जाते है और इस क्षमता तक कनेक्शन दिए जा सकते है। लेकिन इतनी बड़ी क्षमता उपलब्ध होने के बाद भी इस पर मात्र 5 एमवीए का ही लोड उपलब्ध है, उसके बाद ही क्षेत्र में 7000 से अधिक घरो में विद्युत कनेक्शन तक नहीं दिए गए हैं, जबकि इन घरों में पर्याप्त विद्युत का उपभोग होता है। नतीजतन ये स्थापित क्षमता भी ओवरलोड हो जाती है। सिस्टम हांफने से बार बार ट्रिपिंग का कारण बन जाता है।
क्या हैं कारण …
राजाखेड़ा में 10000 से अधिक परिवार निवास करते हैं, जबकि विद्युत कनेक्शन सिर्फ 2500 ही हैं। इन्ड्रस्टियल कनेक्शन की संख्या भी संचालित होने वाले संस्थानों से कम है। कई जगह कृषि कनेक्शन से उद्योग संचालित किए जा रहे हैं। जिनकी अधिकारियों को जानकारी होते हुए भी कार्यवाही नहीं करना कई सवाल खड़े करता है। अधिकारियों की निगहबानी में कथित तौर पर ठेकेदार भी इस ओवर लोडिंग को बढ़ाने में शामिल हैं।
क्षमता है, उपभोग भी है, तो फिर कनेक्शन क्यो नहीं
निराशाजनक यह है कि निगम के स्थानीय अधिकारियों से लेकर आला अधिकारी भी इन तथ्यों से परिचित हैं, कि निगम के पास कनेक्शन देने की पर्याप्त क्षमता है, जिसका पूरा दोहन भी हो रहा है, तो दोहन करने वालो को जबरन कनेक्शन क्यों नहीं दिए जाते जबकि निगम ऐसे लोगों का सर्वे कई बार किया जा चुका है, जिनमें डोमेस्टिक, नॉन डोमेस्टिक और इन्ड्रस्ट्रीयल संस्थाए शामिल हैं। क्यों इन्हें चोरी की खुली छूट दी जा रही है।
मुफ्त का चंदन …
चोरी के चलते मुफ्त में मिल रही बिजली का दुरुपयोग भी क्षेत्र में चरम पर है। घरों में कई कई किलोवाट की क्षमता के हीटर्स पर जानवरों का भोजन रात रात भर पकाया जाता है। रात्रि में तो वाणिजियक उपभोक्ता सीधे ही लाइन से उपभोग कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। कनेक्शन देने से चोरी पर लगाम लग लग सकती है, वहीं दुरुपयोग को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
अधिकारी नहीं उठाते फोन …

इतने पर भी निगम के अधिकारी उपभोक्ताओं के फोन उठाने में अपनी तौहीन समझते हैंं। ऐसे में उपभोक्ता शिकायत करें भी तो किस से। ऐसे में विद्युत वितरण को भरतपुर जिले की तर्ज पर निजी हाथों में देने की मांग यहां के उपभोक्ताओं में भी जोर पकड़ती जा रही है। जिससे गुणवत्तापूर्ण विद्युत उपलब्ध हो सके।
इनका कहना है
चोरी के चलते न तो वोल्टेज मिल पा रहे हैं, न ही पर्याप्त बिजली। जिससे भीषण शीत में बुजुर्गों के हालात खराब हैं। सुमन, उपभोक्ता

इनका कहना है

इतना वोल्टेज तो मिले, की घर के उपकरण चल सकें। सुबह से दोपहर तक तो हालात ये हैं कि वोल्टेज 100 से 150 ही मिल पाता है। जिससे घर के काम तक नहीं हो पाते।
प्रतिभा, गृहिणी उपभोक्ता

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