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चौरसियावास अब नहीं रहा ‘चौरस’, चढ़ा अतिक्रमण की भेंट

locationअजमेरPublished: Jun 22, 2019 01:06:38 pm

Submitted by:

Preeti

– तालाब के कैचमेंट एरिया में बाधक बने हैं अतिक्रमण
– कुछ जगह नालों का रुख मोड़ा, कुछ क्षेत्र में बबूल व झाडिय़ों से अटा मार्ग

encroachment in chaurasiwas pond

चौरसियावास अब नहीं रहा ‘चौरस’, चढ़ा अतिक्रमण की भेंट

अजमेर. शहरी सीमा से सटा अतिक्रमण की भेंट चढऩे से अब न तो तालाब चौरस रहा है और न इसमें पानी की आवक तेज हो पा रही है। यही वजह है कि पिछले एक दशक में तालाब लबालब नहीं भर पाया है। चौरसियावास तालाब के संरक्षण एवं संवद्र्धन के लिए समय-समय पर प्रयास भी हुए मगर क्षेत्रीय व आस-पास लोगों की ओर से तालाब क्षेत्र में कहीं बाड़ तो कहीं दीवारें बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया है।
अजमेर के वैशालीनगर से करीब 2 किमी दूर चौरसियावास तालाब का संरक्षण आज की प्रमुख प्राथमिकता है। चौरसियावास तालाब में बरसाती पानी की आवक आस-पास के जंगल के साथ पहाड़ी क्षेत्र हैं। मगर कुछ वर्षों में पहाड़ी व तालाब के मध्य बसाई जा रही कुछ कॉलोनियों के चलते इसमें पानी की आवक प्रभावित हो रही है। यहां बनाई जा रही सडक़ें एवं नालों के चलते यहां पानी का रुख बदलने लगा है। चौरसियावास के ग्रामीणों के अनुसार इस क्षेत्र में बनाए जा रहे नालों का रुख चौरसियावास की ओर से रहने से तालाब में बारिश के पानी की आवक फिर से शुरू हो जाएगी।
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बबूल व झाडिय़ों की सफाई भी जरूरी

तालाब एवं पहाड़ी क्षेत्र के मध्य जहां से पानी की आवक है उसके मध्य बबूल व झाडिय़ां भी हैं। ऐसे में पानी की गति धीमी हो जाती है। बारिश व मानसून की सक्रियता से पूर्व इनकी सफाई तालाब में पानी की आवक को सुचारू कर पाएगी।
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