कैमल सफारी से जुड़े व्यवसायी ठाले बैठे रहे। रेतीले धोरों पर इस साल खामोशी पसरी रही। ३० नवम्बर सोमवार को बहुत कम श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर के घाट पर पंचतीर्थ महास्नान किया। इस बार पिछले मेले की अपेक्षाकृत श्रद्धालुओं की आवक नगण्य सी रही।
धार्मिक आयोजन औपचारिक रहे मुख्य घाटों के अलावा अन्य घाटों, पुष्कर के बाजार,बस स्टैण्ड व मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा। महास्नान के साथ ही छह दिनों से चल रहा धार्मिक पुष्कर मेले का समापन हो गया। कोरोना के भय पर आस्था भारी रही, क्योंकि धार्मिक आयोजन बंद नहीं हुए, बल्कि औपचारिक रहे।
घाटों पर दीपदान,वराह घाट पर महाआरती सोमवार को ब्रह्ममुहूर्त से ही पुष्कर सरोवर में कार्तिक मास के आखिरी पंचतीर्थ महास्नान की डुबकी लगाने का सिलसिला शुरू हो गया। सूर्योदय के बाद प्रधान वराह घाट, गऊ घाट, ब्रह्म घाट पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, शेष घाटों पर सूनापन रहा।
थानाधिकारी राजेश मीणा, तहसीलदार अरविन्द कविया, पालिका ई.ओ. अभिषेक गहलोत ने पैदल भ्रमण करके घाटों पर पुख्ता इंतजाम किए। शाम को पुष्कर सरोवर के घाटों पर श्रद्धालुओं ने दीपदान किया, वहीं वराह घाट पर पुष्कर सरोवर की महाआरती की गई।
लाखों की संख्या सैकड़ों में सिमटी प्रतिवर्ष पुष्कर मेले में कार्तिक पूर्णिमा तिथि को करीब दो लाख से अधिक पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते हं,ै लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही। कोरोना के साए में पुष्कर मेला सम्पन्न हो गया। जिला प्रशासन स्तर पर पुष्कर पशुमेला निरस्त करने के बाद धार्मिक मेले को लेकर भी इन्तजाम पर कोई सक्रियता नहीं दिखाई। जानकारों की मानें तो बीते पचास साल में यह पहला मौका है जब पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा का मेला नहीं भरा। इसकी मुख्य वजह कोरोना महामारी का भय है।