script6 साल पहले हुई थी मेडिकल कॉलेज की एनर्जी ऑडिट,अब तक नहीं हुआ अमल | Energy audit of medical college was done 6 years ago, still not implem | Patrika News

6 साल पहले हुई थी मेडिकल कॉलेज की एनर्जी ऑडिट,अब तक नहीं हुआ अमल

locationअजमेरPublished: Nov 11, 2020 04:57:48 pm

Submitted by:

bhupendra singh

सुझाव अपनाते तो सालाना 25 लाख रूपए की 3 लाख यूनिट बिजली बचती
वार्षिक 248 टन कार्बनडाई गैस के उत्सर्जन भी रुकता
एक्रीडेटेड इंजीनियर ने मुफ्त में की थी ऑडिट

JLN hospital ajmer

JLN hospital ajmer

भूपेन्द्र सिंह

अजमेर.जेएलएन jln अस्पताल के आईसीयू वार्ड में हाल ही शॉर्ट सर्किट होने से वेंटीलेटर फुंकने से दो मरीजों की मौत के बाद अब सभी महकमें हरकत में नजर आ रहे हैं। सुधार की बात की जा रही है लाखों रुपए के प्रस्ताव भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही विभाग स्वयं की लापरवाही से भी पल्ला भी झाड़ रहें है। वहीं करीब छह साल पहले जेएलएन मेडिकल कॉलेज एवं सम्बंधित होस्टल्स की एनर्जी ऑडिट व उसकी अभिशंषाओं पर न तो पीडब्ल्यूडी और न ही अस्पताल प्रशासन ने ही अमल किया। ऑडिट में उर्जा संरक्षण बचत के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल सेफ्टी पर भी अध्ययन किया गया था। ऑडिटर द्वारा दी गई रिपोर्ट में सुझाव के साथ उपकरणों के बदलाव के लिए कहा गया था। यदि इस पर अमल किया गया होता तो मेडिकल कॉलेज व हॉस्टल की सालाना करीब 25 लाख रूपए की करीब 3 लाख यूनिट बिजली की बचत होती। यदि सभी अनुशंसाओ को लागू किया जाता तो वार्षिक 248 टन कार्बनडाई गैस के उत्सर्जन मे कमी आ सकती थी। मेडिकल कॉलेज एवं सम्बंधित हॉस्टल की वार्षिक बिजली बचत के साथ-साथ होने वाले इंवेस्टमेंट एवम पे-बेक पीरियड की गणना भी की गई थी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक सेफ्टी पर अध्ययन कर विभिन्न विभागो/ सेक्शनो मे एनर्जी मीटर लगाने की भी अनुशंसा की गई थी।
इनको बदलने की जरूरत

मेडिकल कॉलेज व हॉस्टल के विद्युत उपकरणो, सप्लाई पेनल, ट्रांस्फ ार्मर, जीओ स्विच इत्यादि की पर्फ ोर्मेंस असेसमेंट अध्ययन किया गया था जिसमे ओक्युपेंसी सेंसर लगाने,पुरानी टी-8/ टी-12 ट्यूबलाईट के बदले टी-5 ट्युब लगाने, 100 वाट के इकेंडेसेंट बल्ब की जगह 8 वाट की एलईडी बल्ब लगाने,पुराने पंखो की जगह सुपर एनर्जी एफि सिएंट फैन लगाने,कूलर में मेटल ब्लेड फेन की जगह एफ आरपी ब्लेड लगाने,स्प्लिट एसी मे कूलिंग पेड लगाने, इलेक्ट्रिक गीजर के स्थान पर वाटर कूलर लगाने,सोलर पी.वी.लॉट लगाने की अनुशंसा की गई थी।
इलेक्ट्रिक पैनलों की हुई थी थर्मोग्राफी

एनर्जी ऑडिट के दौरान इलेक्ट्रिक सेफ टी पर भी अध्ययन किया गया था तथा इसके लिए इलेक्ट्रिक पेनलो की थर्मोग्राफ ी की गई थी। थर्मोग्राफ ी मे हॉट प्वाईंट से पहचाने गए लूज कनेक्शनो को मौके पर ही ठीक भी कराया था। इसके अलावा लोड बेलेंसिंग की भी अनुशंसा की थी ताकि तीनो फेजों मे बराबर करंट रहे। वाटर कूलरों मे लगे थर्मोस्टेट को भी बदलने, रिपेयर कराने की अनुशंसा की थी विशेषतौर से इलेक्ट्रिक सेफ्टी पर यह बताया गया था कि यदि इलेक्ट्रिसिटी को सेफ्टी से उपयोग मे नही लाया जाए तो यह जला सकती है और मृत्यु कारक भी हो सकती है तथा इस सम्बंध मे क्या करे और क्या नही करे पर भी अपनी टिप्पणिया दी थी। ट्रांस्फ ोर्मर मे तेल के लेवल को सही रखने व ब्रीदर मे रखी सिलिका जैल को भी बदलने की अनुशंसा की थी।
केबलों की लोड कैपेसिटी जांची जाए

एनर्जी ऑडिट रिपोर्ट मे यह सिफ ारिश की गई थी कि मेडिकल कॉलेज व हॉस्टल में जब भी कोई नया उपकरण लगाया जाए तो वर्तमान मे लगी सभी केबलों की लोडिंग केपेसिटी की जांच करवाई जाए एवं लोड को भी बेलेंस कराया जाए। रिपोर्ट मे इलेक्ट्रिकल सेफ्टी के विभिन्न पहलुओ को बताया था।
बिना खर्च हुई थी ऑडिट

दिसम्बर 2014 मे अजमेर डिस्कॉम के सहायक अभियंता एवम उर्जा प्रबंधक पी.सी. तिवारी (एक्रेडिटेड एनर्जी ऑडिटर) ने जेएलएन मेडिकल कॉलेज एवं मेडिकल हॉस्टल्स की एनर्जी ऑडिट सामाजिक सेवा के तौर पर स्वयं के खर्चे पर की थी। इसके लिए किसी से कोई चार्ज नही लिया था।
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