वहीं टोंक जिले के किसानों की बांध से सिंचित होने वाली 81 हजार 800 हेक्टेयर भूमि को इस बार भी सिंचाई का पानी मिलने की आस अभी अधुरी है, जिससे टोंक जिले में बांध की दायीं व बायीं मुख्य नहरों सहित इनसे जुड़े माइनर व वितरिकाओं से होने वाले सिंचाई के बाद जिले में होने वाली लगभग एक हजार करोड़ की अतिरिक्त आय इस बार फिर से धूमिल होती नजर आ रही है। बांध परियोजना के अधिक्षण अभियंता वीएस सागर ने बताया कि बांध का कुल जलभराव 315.50 आर एल मीटर है, जिसमें 38.70 टीएमसी पानी का भराव होता है। अभी बांध में कुल जलभराव का लगभग आधा पानी ही बांध में भरने के करीब है, जो गत वर्ष के जलभराव से काफी कम है। गत वर्ष बांध का जलभराव 313.50 के करीब था, जिसमें लगभग 24 टीएमसी पानी का भराव था। उसके बावजूद सरकार की ओर से किसानों की मांग के बाद भी पेयजल को प्राथमिकता देते हुए किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया गया था। ऐसे में इस वर्ष अभी तक भरे पानी में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाना मुश्किल है।
सागर ने बताया कि बांध से जलापूर्ति के लिए पानी देना व सिंचाई के लिए पानी छोडऩा या नहीं छोडऩा आदि निर्णय राज्य सरकार व उच्चाधिकारी करते है। बांध परियोजना अभियंताओं का कार्य बांध की देख रेख व पानी की मात्रा आदि की जानकारी उच्चाधिरियों तक पहुंचाना है।
इधर बांध के केचमेंट एरिया में गत दिनों हुई बारिश के चलते बांध में मामूली पानी की आवक अभी जारी है। हालांकि जलभराव में सहायक त्रिवेणी का गेज ज्यों ज्यों कम होता जा रहा है त्यों त्यों बांध में पानी की आवक भी घटती जा रही है। बांध के कन्ट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार शाम 8 बजे तक एक सेमी की बढ़ोत्तरी के साथ बांध का गेज 312.23 आर एल मीटर हो गया था, जिसमें 18.761 टीएमसी पानी का भराव हो गया। वहीं गुरुवार सुबह 8 बजे तक फिर से एक सेमी की बढ़ोत्तरी के साथ बांध का गेज 312.24 आरएल मीटर दर्ज किया है, जिसमें 18.809 टीएमसी पानी का भराव है। जो शाम आठ बजे 312.25 हो गया। वहीं कुल भराव 18. 857 टीएमसी हो गया। इसी प्रकार बांध के जलभराव में सहायक त्रिवेणी का गेज बुधवार को 3.60 मीटर चल रहा था जो गुरुवार सुबह 8 बजे तक 10 सेमी घटकर 3.50 मीटर रह गया। बांध क्षेत्र में बीते 24 घंटों के दौरान बारिश शून्य दर्ज की गई है।