scriptEyes on Cheetah: फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी | Eyes on Cheetah: Proud daughter cares cheetah in kunho park | Patrika News

Eyes on Cheetah: फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी

locationअजमेरPublished: Sep 30, 2022 08:16:26 am

Submitted by:

raktim tiwari

इनके नाम भी बड़े रोचक हैं। चीते धीरे-धीरे खुद को भारतीय परिवेश में ढाल रहे हैं।

फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी

फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी,फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी,फुर्तीले चीतों को पैनी नजरों से संभाल रही अजमेर की बेटी

रक्तिम तिवारी

देश में 50 साल बाद आए आठ चीतों को केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय की टीम संग अजमेर की बेटी भी संभाल रही है। चीतों के पर्यावरण से घुलने-मिलने तथा आवास-भोजन की आदतों पर उसकी पैनी निगाह लगी हुई है। इनके नाम भी बड़े रोचक हैं। चीते धीरे-धीरे खुद को भारतीय परिवेश में ढाल रहे हैं।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से डॉ. वाई. वी. झाला की अगुवाई में एमएससी पर्यावरण विज्ञान की डिग्रीधारक पारुल सेन इन दिनों कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य के पर्यावरण, जैव विविधता के साथ-साथ नामीबिया से आए आठ चीतों की देखरेख में जुटी हैं। फिलहाल इन्हें खास क्षेत्र बनाकर क्वाॅरंटीन किया गया है।
प्रत्येक व्यवहार पर पैनी निगाह

पारुल पैनी निगाह से चीतों के व्यवहार को परख रही हैं। वे कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य की जलवायु, जैव विविधता और पर्यावरण का विशेष अध्ययन कर रही हैं। नामीबिया और भारतीय विशेषज्ञों के साथ चीतों के भारतीय परिवेश में ढलने, आवास- भोजन, विश्राम, खान-पान की आदतों (हैबिटेट) से लेकर अन्य बिंदुओं को रोज परख रही हैं।
रोचक हैं चीतों के नाम

नर चीतों के नाम ओबान, अल्टोन, फ्रेडी, जबकि मादा चीतों के नाम आशा, सिआया, सावाना, साशा और तिब्लीसी हैं। दो नर चीते 5-5 साल के हैं और आपस में भाई हैं। एक नर चीता साढ़े 4 साल का है। मादा चीता में दो 5-5 साल तथा अन्य तीन 2, 4 तथा ढाई साल की हैं। इनका जल्द ही भारतीय नामकरण किया जाएगा। पीएमओ और केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्रालय इसको लेकर चर्चा कर रहा है।
अब तक यह आदतें चलीं पता…

– दिनभर में दो-तीन बार ही पी रहे हैं पानी

– सप्ताह में सिर्फ एक बार ही किया है शिकार

– चीतल, लंगूर और हिरण है चीतों का पसंदीदा भोजन
– एक जगह शिकार करने के बाद नहीं जा रहे उस जगह

– सुबह और शाम है टॉयलेट-यूरिनेशन का टाइम

– खुद को ढाल रहे अर्द्ध शुष्क (सेमी एरिड) मौसम में रहने के अनुकूल
– कभी साथ तो कभी अकेले घूमना ज्यादा पसंद

पारुल विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान की विद्यार्थी रही हैं। उनके पास कूनो पार्क में चीतों की देखभाल करने की अहम जिम्मेदारी है। यह शिक्षकों सहित अजमेर के लिए गर्व की बात है।
प्रो. सुब्रोतो दत्ता, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष, मदस विवि

ट्रेंडिंग वीडियो