1996-97 में स्थापित इंजीनियरिंग कॉलेज में गल्र्स कॉमन रूम सुविधा नहीं है। छात्राओं को कैंपस में कैंटीन, लाइब्रेरी अथवा इधर-उधर बैठना पड़ता है। इससे कई बार उन्हें असुविधाएं होती हैं। खासतौर पर कोई क्लास नहीं होने पर ज्यादा समस्या होती है। लिहाजा प्राचार्य डॉ. रेखा मेहरा ने छात्राओं के सुविधार्थ गल्र्स कॉमन रूम बनाने का फैसला किया है।
रखी जाएंगी पत्र-पत्रिकाएं
कॉलेज भवन के किसी कमरे में कॉमन रूम बनाया जाएगा। इसमें बैठने के लिए कुर्सियां और पढऩे के लिए मेज लगाई जाएंगी। छात्राओं के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाएं भी रखी जाएंगी। छात्राएं यहां बैठकर पढ़ाई के अलावा कोई क्लास नहीं होने पर वक्त बिता सकेंगी। इसके अलावा सेनेटरी नेपकिन मशीन लगाई जाएगी। टॉयलेट भी बनाया जाएगा।
कॉलेज भवन के किसी कमरे में कॉमन रूम बनाया जाएगा। इसमें बैठने के लिए कुर्सियां और पढऩे के लिए मेज लगाई जाएंगी। छात्राओं के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाएं भी रखी जाएंगी। छात्राएं यहां बैठकर पढ़ाई के अलावा कोई क्लास नहीं होने पर वक्त बिता सकेंगी। इसके अलावा सेनेटरी नेपकिन मशीन लगाई जाएगी। टॉयलेट भी बनाया जाएगा।
यूनिवर्सिटी में नहीं परवाह
मदस विश्वविद्यालय में गल्र्स कॉमन रूम नहीं हैं। यहां विभागवार छात्राएं परेशान होती हैं। छात्राओं को भवनों के बाहर या वाहन स्टैंड पर वक्त बिताना पड़ता है। भोजन के लिए भी कोई कॉमन एरिया नहीं है। इसके अलावा यहां महिला उत्पीडऩ समिति
मदस विश्वविद्यालय में गल्र्स कॉमन रूम नहीं हैं। यहां विभागवार छात्राएं परेशान होती हैं। छात्राओं को भवनों के बाहर या वाहन स्टैंड पर वक्त बिताना पड़ता है। भोजन के लिए भी कोई कॉमन एरिया नहीं है। इसके अलावा यहां महिला उत्पीडऩ समिति