बरसात की कमी ने जिले में फसलों को खासी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह हो गई है कि किसान खेत में खड़ी फसल को काटने की बजाए उसे मवेशियों को खिलाने में ही फायदे का सौदा समझ रहे हैं। जो फसल हुई भी है उसमें भी किसानों को लागत नहीं मिल पा रही है। गगवाना में टैम्पो में भरकर फसल को खेत से घर लाता किसान।
बरसात की कमी ने जिले में फसलों को खासी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह हो गई है कि किसान खेत में खड़ी फसल को काटने की बजाए उसे मवेशियों को खिलाने में ही फायदे का सौदा समझ रहे हैं। जो फसल हुई भी है उसमें भी किसानों को लागत नहीं मिल पा रही है। गगवाना में टैम्पो में भरकर फसल को खेत से घर लाता किसान।
बरसात की कमी ने जिले में फसलों को खासी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह हो गई है कि किसान खेत में खड़ी फसल को काटने की बजाए उसे मवेशियों को खिलाने में ही फायदे का सौदा समझ रहे हैं। जो फसल हुई भी है उसमें भी किसानों को लागत नहीं मिल पा रही है। गगवाना में टैम्पो में भरकर फसल को खेत से घर लाता किसान।
बरसात की कमी ने जिले में फसलों को खासी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह हो गई है कि किसान खेत में खड़ी फसल को काटने की बजाए उसे मवेशियों को खिलाने में ही फायदे का सौदा समझ रहे हैं। जो फसल हुई भी है उसमें भी किसानों को लागत नहीं मिल पा रही है। गगवाना में टैम्पो में भरकर फसल को खेत से घर लाता किसान।
बरसात की कमी ने जिले में फसलों को खासी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह हो गई है कि किसान खेत में खड़ी फसल को काटने की बजाए उसे मवेशियों को खिलाने में ही फायदे का सौदा समझ रहे हैं। जो फसल हुई भी है उसमें भी किसानों को लागत नहीं मिल पा रही है। गगवाना में टैम्पो में भरकर फसल को खेत से घर लाता किसान।