कृषकों को बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 50 किलो गोबर में मिलाकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में मिलाए साथ ही साथ आर. जी. 425 व आर. जी. 510 आदि रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करेंं एवं कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम या थाईरम 3 ग्राम या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। अगर रासायनिक फफूंदनाशी का उपयोग कम करना हो तो 1.5 ग्राम थाईरम व 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीज को उपचारित करें।
उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक की जाती है। कृषि जलवायवीय जोन 3 ए (जयपुर, अजमेर, टोंक व दौसा जिले) के सभी कृषकों को सलाह दी जाती हैं कि मूंगफली की फसल को गलकट रोग से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों का प्रयोग करें। बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।
उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक की जाती है। कृषि जलवायवीय जोन 3 ए (जयपुर, अजमेर, टोंक व दौसा जिले) के सभी कृषकों को सलाह दी जाती हैं कि मूंगफली की फसल को गलकट रोग से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों का प्रयोग करें। बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।