अजमेर

किसान ऐसे बचाएं मूंगफली की फसल, होगी बम्पर पैदावार

गलकट से बचाने के लिए करें बीजोपचार

अजमेरMay 26, 2022 / 10:17 pm

bhupendra singh

peanut crop

अजमेर. मूंगफली की फसल को गलकट रोग से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार बीजोपचार किया जाना चाहिए। एटीसी के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि मूंगफली खरीफ में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहनी फसल है। मूंगफली उत्पादन में बढोतरी के लिए उन्नत शष्य क्रियाओं के साथ-साथ रोगों से बचाना भी जरूरी है। मूंगफली की फसल में गलकट, टिक्का (पत्ती धब्बा) व विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानिकारक रोगों का प्रकोप होता हैं। इनमें से गलकट रोग (कॉलर रोट) के कारण फसल को सर्वाधिक हानि होती हैं। यह एक मृदोढ़ व बीजोढ़ रोग हैं। इस रोग के कारण फसल में पौधे मुरझा जाते हैं। ऎसे पौधों को उखाड़ने पर उनके स्तम्भमूल संधि (कॉलर) भाग व जड़ों पर फफूंद की काली वृद्धि दिखाई देती हैं। इस रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग ही एक मात्र प्रभावी उपाय हैं।
कृषकों को बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 50 किलो गोबर में मिलाकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में मिलाए साथ ही साथ आर. जी. 425 व आर. जी. 510 आदि रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करेंं एवं कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम या थाईरम 3 ग्राम या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। अगर रासायनिक फफूंदनाशी का उपयोग कम करना हो तो 1.5 ग्राम थाईरम व 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीज को उपचारित करें।
उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक की जाती है। कृषि जलवायवीय जोन 3 ए (जयपुर, अजमेर, टोंक व दौसा जिले) के सभी कृषकों को सलाह दी जाती हैं कि मूंगफली की फसल को गलकट रोग से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों का प्रयोग करें। बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।
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