scriptट्रेन बम विस्फोट प्रकरण में अंतिम बहस शुरू | Final arguments begin in train bombing case | Patrika News

ट्रेन बम विस्फोट प्रकरण में अंतिम बहस शुरू

locationअजमेरPublished: Mar 21, 2023 10:56:35 pm

Submitted by:

Dilip

– टाडा कोर्ट में आतंकी टुंडा प्रकरण सुनवाई के आखिरी दौर में
विवादित ढ़ांचा ढहाए जाने की पहली बरसी पर देश के कई नगरों में एक साथ हुए बम विस्फोट का तकरीबन 30 साल पुराना मामला अब अंतिम बहस में आ गया है। प्रकरण में बम बनाने के मास्टर माइंड आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा व अन्य आरोपी हैं।

high court

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– टाडा कोर्ट में आतंकी टुंडा प्रकरण सुनवाई के आखिरी दौर में

अजमेर. विवादित ढ़ांचा ढहाए जाने की पहली बरसी पर देश के कई नगरों में एक साथ हुए बम विस्फोट का तकरीबन 30 साल पुराना मामला अब अंतिम बहस में आ गया है। प्रकरण में बम बनाने के मास्टर माइंड आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा व अन्य आरोपी हैं। डेजिग्नेटेड कोर्ट ऑफ राजस्थान (टाडा कोर्ट) में अभियोजन पक्ष की बहस पूरी होने के बाद मंगलवार से बचाव पक्ष की अंतिम बहस शुरू हुई। सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अदालत प्रकरण में फैसला सुनाएगी।प्रकरण के तथ्य
6 दिसम्बर 1993 को देश के कई शहरों में सीरियल ट्रेन बम धमाके हुए थे। बड़ौदा, कोटा के आमली स्टेशन, कानपुर व हैदराबाद स्टेशनों पर यह धमाके हुए। इनमें कई जानें गईं व सैंकड़ों लोग हताहत हुए थे। इसकी जांच सीबीआई ने की। मामले में यूपी निवासी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा व उसके सहयोगी हमीदुद्दीन व इरफान को आरोपी बनाया। वारदात के बाद आरोपी फरार हो गए। आरोपी टुंडा को वर्ष 2014 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया। इसी प्रकार वर्ष 2016 में आरोपी इरफान व 2018 में आरोपी हमीदुद्दीन को गिरफ्तार किया। तभी से आरोपियों की सुनवाई अजमेर िस्थत टाडा कोर्ट में चल रही है।अभियोजन पक्ष की बहस पूरी
जानकारी के अनुसार प्रकरण में 20 मार्च से अंतिम बहस शुरू हो गई। सीबीआई के विशेष वकील भवानी सिंह रोहिल्ला ने सीबीआई का पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष की ओर से 66 गवाह व 400 दस्तावेज पेश किए गए। इसके बाद मंगलवार से बचाव पक्ष की बहस वकील अब्दुल रशीद व शफकत उल्लाह सुल्तानी ने की।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही त्वरित सुनवाई

आरोपी टुंडा दिल्ली के तिहाड़ व गाजियाबाद के डासना जेल में बंद था। उसे यहां टाडा कोर्ट में लाने के लिए भारी सुरक्षा प्रबंध करने पड़ते थे। बख्तर बंद वाहन का इंतजाम करना पड़ता था। कई बार आरोपी को पर्याप्त पुलिस जाब्ता नहीं होने के कारण पेशी पर नहीं ला पाते थे। ऐसे में प्रकरण में प्रभावी सुनवाई नहीं हो पाती केवल पेशियां ही बदलती थीं। हालिया वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरोपी को यहां अजमेर के केन्द्रीय कारागृह में ही स्थानांतरित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण काफी पुराना होने के कारण इसकी त्वरित सुनवाई के भी निर्देश दे रखे हैं।
इन कानूनों में है प्रकरण दर्ज

भादंस – धारा 302, 307, 324, 435, 120 बी.

विस्फोट पदार्थ अधिनियम – धारा 3 व 4

– सार्वजनिक संपत्ति (हानि) निवारण अधिनियम – धारा 3 व 4.- आर्म्स एक्ट व रेलवे एक्ट की विभिन्न धाराएं
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