किशनगढ़ से सियालदाह-अजमेर एक्सप्रेस सुबह रवाना हुई। करीब सात बजे गेगल आखिरी स्टेशन के नजदीक आते आते इंजन से धुआं निकलने लगा। इससे ट्रेन के अगले कोच में बैठे यात्रियों में खलबली मच गई। स्थिति बिगड़ती इससे पहले ही लोको पायलट ने गेगल स्टेशन पर आकर ट्रेन को ब्रेक लगा दिए। इस दौरान इंजन से चिंगारियां भी निकलने लगी।
लोको पायलट ने आपात स्थिति से निपटने के लिए इंजन में रखे आग बुझाने के सिलेंडर से आग को बुझाने का प्रयास किया। स्टेशन के कर्मचारी भी पानी, मिट्टी और सिलेंडर लेकर इंजन की तरफ दौड़े। कुछ देर की मशक्कत के बाद इंजन से धुआं उठना बंद हो गया। लगभग डेढ़ घंटा ट्रेन गेगल आखिरी स्टेशन पर रुकी रही। इसी दौरान एक मालगाड़ी वहां पहुंची। स्टेशन प्रशासन ने मालगाड़ी का इंजन सियालदाह-अजमेर एक्सप्रेस में लगाया और ट्रेन को अजमेर रवाना कर दिया।
पहले हुई थी बेपटरी सियालदाह अजमेर एक्सप्रेस बीत आठ महीने पहले उत्तर प्रदेश में बेपटरी हो गई थी। हालांकि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ लेकिन यात्रियों में जबरदस्त दहशत देखी गई। घटना के बाद अजमेर पहुंचे यात्रियों ने हाल बयां किया तो उनके चेहरों पर खौफ साफ नजर आया।
कई बार हो चुकी ऐसी घटनाएं इंजन में आग लगने, शॉर्ट सर्किट होने और खराब होने की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। अजमेर मंडल के ब्यावर,
उदयपुर, आबूरोड के आसपास कई स्टेशन पर रेल और मालगाड़ी के इंजन में आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। इससे यात्रियों को कई बार परेशानियां हो चुकी हैं। ब्रिटिशकाल में स्थापित अजमेर लोको कारखाने में देश के कई हिस्सों से डीजल इंजन की मरम्मत के लिए आते हैं। यहां से तैयार किए गए इंजन बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यामार में भी चल रहे हैं। इसके बावजूद नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में इंजन में तकनीकी गड़बडिय़ों की घटनाएं रुकी नहीं है।