अजमेर जिले में एक हजार के करीब छोटे-बड़े तालाब है। इसमें से मात्र 250 तालाबों में मत्स्यपालन हो रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3548.317 मैट्रिक टन मत्स्य का उत्पादन हुआ है। ऐसे में यदि शेष 750 छोटे-बड़े तालाबों में मत्स्य पालन प्रारंभ हो जाए तो उत्पादन दोगुना से अधिक हो सकता है। अजमेर शहर के आनासागर के झील में मत्स्य पालन का ठेका एक करोड़ 64 लाख रुपए में छूटा है। ऐसे जिले में कई छोटे-बड़े तालाब है। यहां पैदा होने वाली मछली दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता में बिक्री के लिए जाती है। स्थानीय स्तर पर मछली की मांग कम है। हालांकि प्रदेश के उदयपुर, चितौड़, भीलवाड़ा सहित कई जिलों में मत्स्य का उत्पादन होता है। विगत दिनों केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी पत्रकारों से बातचीत में मछली उत्पादन के साथ कोल्ड स्टोरेज पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मछली उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा तो काम में नहीं आ पाता है, कोल्ड स्टोरेज आवश्यक भी है।
फैक्ट फाइट – 1000 के करीब जिले में छोटे बड़े तालाब-झील
– 250 के अधिक छोटे-बड़े तालाब/झील में मत्स्य पालन – 586.02 लाख फ्राई 2019-20 में मत्स्य बीज उत्पादन
– 3548.317 मैट्रिक टन मत्स्य का 2019-20 में उत्पादन
– 338.56 लाख की 2019-20 में राजस्व की प्राप्ति
यह हो सकता है फायदा – एक हजार परिवारों को ओर मिल सकता है रोजगार
– जिले में मत्स्य उत्पादन में होगी बढ़ोत्तरी – सस्ती दर पर प्रोटीनयुक्त भोजन मिल सकेगा
– मनरेगा में तालाबों की जा सकती है खुदाई
– भूमिगत जल स्तर बढऩे से फसलों को मिलेगा फायदा
पंचायत, जिला परिषद एवं निकायों को आय – 5 लाख से ऊपर व नगर निकाय के ठेके करता है विभाग
– 50 हजार से 5 लाख तक के ठेके करता है जिला परिषद
– 10 हजार से 50 हजार तक के पंचायत समिति स्तर पर
– 10 हजार से कम ग्राम पंचायत/ आवंटन इन पर मिलता अनुदान तालाब बनाने, मत्स्य पालन, मत्स्य आहार निर्माण, परिवहन और बिक्री, कोल्ड स्टोरेज निर्माण पर अनुदान की व्यवस्था होगी।
इनका कहना है जिले में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए लोगों के प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभागीय स्तर पर विभिन्न योजनाओं में अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है। जिले में इसे बढ़ावा देने की प्रचुर संभावना है।
आर. एन. लामरोड, संयुक्त निदेशक मत्स्य पालन विभाग जयपुर