लोककला का 'उड़ा रंग, कलाकारों के दबे 'सुर!
अजमेरPublished: Nov 18, 2021 02:13:51 am
मेलों से ओझल हो रही कला संस्कृति, लोक कलाकारों को नहीं मिला मंच, राजस्थान में करीब 40 हजार लोक कलाकारों के परिवार की मेलों से चलती है आजीविका


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चन्द्र प्रकाश जोशी अजमेर. राजस्थानी कला संस्कृति को जीवंत रखने वाले मेलों, पशु मेलों में ही कलाकारों को ना तो मंच मिल रहा है, ना इन्हें बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान में कई ऐसे मेले हैं जहां से लोक कलाकारों को नई पहचान मिलती है और राजस्थान की कला की झलक दिखाई देती है। मगर श्री कार्तिक पुष्कर पशु मेला लोक कला संस्कृति से जुड़े कलाकारों को मंच तक उपलब्ध नहीं करा सका है। जबकि राजस्थान के करीब 40 हजार लोक कलाकारों की लोक उत्सव व मेलों पर ही आजाविका टिकी है।