बढऩे लगा चलन
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को महत्व दिया जाने लगा है। शहर के गणेश मंदिर भी इस पहल को बढ़ावा देने के लिए आगे आएंगे। मोतीडूंगरी गणेशजी मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिट्टी की प्रतिमा का महत्व है। पीओपी से बनी मूर्ति का विसर्जन ही पानी में नहीं होता, इसलिए मिट्टी से बने विघ्नहर्ता को ही घर में विराजित करना सही है। यह पानी में भी आसानी से घुल जाती है।
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को महत्व दिया जाने लगा है। शहर के गणेश मंदिर भी इस पहल को बढ़ावा देने के लिए आगे आएंगे। मोतीडूंगरी गणेशजी मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिट्टी की प्रतिमा का महत्व है। पीओपी से बनी मूर्ति का विसर्जन ही पानी में नहीं होता, इसलिए मिट्टी से बने विघ्नहर्ता को ही घर में विराजित करना सही है। यह पानी में भी आसानी से घुल जाती है।
यह भी नवाचार सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र मुंबई के लालबाग का राजा नाम से गणेश प्रतिमा का है। ज्यादातर मांग एक फीट वाली प्रतिमाओं की है। इनकी कीमत 150 से लेकर 500 रुपए के बीच है। कोरोना संक्रमण के चलते चार से पांच खास मूर्तियां भी तैयार की जाएंगी। इसमें गणेश भक्तों को सामाजिक दूरी की पालना के साथ मास्क, सेनेटाइजर का काम में लेने का संदेश देंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए लिहाज से मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की स्थापना भी भक्त आगामी दिनों में करेंगे। प्रतिमा में पौधा उगाने के लिए बीज डाले जाएंगे। विसर्जन के बाद प्रतिमा की मिट्टी में रखा बीज अंकुरित होकर एक पौधे का रूप लेगा।
इन रूपों में विराजेंगे गणपति
बीकानेर के कलाकार प्रभाती का कहना है कि भगवान गणेश को सिंहासन, मोर, पगड़ी पहने, चूहे पर, कमल आदि पर विराजमान कर अलग—अलग रंग दिए जाएंगे। सवाईमाधोपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर सहित अन्य जगहों के ऑर्डर मिले हैं। कीमत 300 से लेकर 4 हजार रुपए तक हैं। वहीं दस से अधिक प्रतिमाओं में पौधों के लिए बीज भी डाले जाएंगे। राजधानी में बार-बार हो रही बारिश का डर भी मूर्ति कलाकारों को सता रहा है। मूर्तिकार सोहन देवी का कहना है कि कई बार नगर निगम प्रशासन माल को जप्त कर लेता है। इससे जीविका पर असर पड़ता है, प्रशासन इसमें राहत दें। कोरोना के चलते पहले परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।
बीकानेर के कलाकार प्रभाती का कहना है कि भगवान गणेश को सिंहासन, मोर, पगड़ी पहने, चूहे पर, कमल आदि पर विराजमान कर अलग—अलग रंग दिए जाएंगे। सवाईमाधोपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर सहित अन्य जगहों के ऑर्डर मिले हैं। कीमत 300 से लेकर 4 हजार रुपए तक हैं। वहीं दस से अधिक प्रतिमाओं में पौधों के लिए बीज भी डाले जाएंगे। राजधानी में बार-बार हो रही बारिश का डर भी मूर्ति कलाकारों को सता रहा है। मूर्तिकार सोहन देवी का कहना है कि कई बार नगर निगम प्रशासन माल को जप्त कर लेता है। इससे जीविका पर असर पड़ता है, प्रशासन इसमें राहत दें। कोरोना के चलते पहले परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।
फैक्ट फाइल
– कुल 20 लाख से अधिक का बाजार – एक से लेकर दस फीट तक की प्रतिमाएं 30 हजार से अधिक
– कुल 20 लाख से अधिक का बाजार – एक से लेकर दस फीट तक की प्रतिमाएं 30 हजार से अधिक