अजमेर. कुख्यात अपराधी आनन्दपालसिंह ने हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट होने से पहले फरारी का षडयंत्ररच चुका था। उसने अजमेर सेन्ट्रल जेल से शिफ्ट करने से तीन दिन पहले अपने साथियों और जेल अधिकारियों को कह चुका था कि अब निकलने का वक्त आ चुका है।
गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह के स्पष्ट संकेत के बावजूद पुलिस और जेल प्रशासन उसकी इरादों को भांप नहीं सका। जिसके चलते उसकी सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई। गैंगस्टर आनन्दपालसिंह को बीकानेर में राजू ठेठ गैंग से खूनी संघर्ष के बाद 21 अगस्त 2014 को अजमेर सेन्ट्रल में शिफ्ट किया था। यहां उसे अजमेर सेन्ट्रल जेल में गैंग के साथी श्रीवल्लभ मिल गया। अजमेर पहुंचते ही आनन्दपालसिंह ने बाहर निकलने की साजिश रच डाली। यहां तक की वह उपचार के बहाने जेल से बाहर आता जाता रहा लेकिन अप्रेल 2015 में जयपुर रोड स्थित नवनिर्मित हाई सिक्योरिटी जेल में सिफ्ट करने के साथ ही उसने जेल से फुर्र होने की स्पष्ट संकेत दे दिए थे। हाई सिक्योरिटी जेल पहुंचते ही उसने सबकुछ अपनी मंशा के अनुसार व्यवस्था कर ली लेकिन 3 सितम्बर 2015 को डीडवाना में तारीख पेशी पर निकला आनन्दपाल सिंह वापस नहीं लौटा। परबतसर के निकट आनन्दपाल सिंह का छोटा भाई विक्की अपने साथियों के साथ हथियार से लैस होकर आया और उसने पुलिस वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। विक्की अपने बड़े भाई आनन्दपाल सिंह, श्रीवल्लभ और सुभाष मुंड को भगा ले गया।
गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह के स्पष्ट संकेत के बावजूद पुलिस और जेल प्रशासन उसकी इरादों को भांप नहीं सका। जिसके चलते उसकी सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई। गैंगस्टर आनन्दपालसिंह को बीकानेर में राजू ठेठ गैंग से खूनी संघर्ष के बाद 21 अगस्त 2014 को अजमेर सेन्ट्रल में शिफ्ट किया था। यहां उसे अजमेर सेन्ट्रल जेल में गैंग के साथी श्रीवल्लभ मिल गया। अजमेर पहुंचते ही आनन्दपालसिंह ने बाहर निकलने की साजिश रच डाली। यहां तक की वह उपचार के बहाने जेल से बाहर आता जाता रहा लेकिन अप्रेल 2015 में जयपुर रोड स्थित नवनिर्मित हाई सिक्योरिटी जेल में सिफ्ट करने के साथ ही उसने जेल से फुर्र होने की स्पष्ट संकेत दे दिए थे। हाई सिक्योरिटी जेल पहुंचते ही उसने सबकुछ अपनी मंशा के अनुसार व्यवस्था कर ली लेकिन 3 सितम्बर 2015 को डीडवाना में तारीख पेशी पर निकला आनन्दपाल सिंह वापस नहीं लौटा। परबतसर के निकट आनन्दपाल सिंह का छोटा भाई विक्की अपने साथियों के साथ हथियार से लैस होकर आया और उसने पुलिस वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। विक्की अपने बड़े भाई आनन्दपाल सिंह, श्रीवल्लभ और सुभाष मुंड को भगा ले गया।
…जेल तो टुच्चे तोड़ते है
गैंगस्टर आनन्दपालसिंह का जेल तोडऩे के मामले में तर्क था कि जेल तो बुझदिल, टुच्चे(छोटे) अपराधी तोड़ते है। वह तो जेल के बाहर पुलिस का पहरा तोड़कर उनकी आंखों के सामने से निकलेगा। पुलिस कुछ कर भी नहीं सकेगी।
गैंगस्टर आनन्दपालसिंह का जेल तोडऩे के मामले में तर्क था कि जेल तो बुझदिल, टुच्चे(छोटे) अपराधी तोड़ते है। वह तो जेल के बाहर पुलिस का पहरा तोड़कर उनकी आंखों के सामने से निकलेगा। पुलिस कुछ कर भी नहीं सकेगी।
यूं भागा था आनन्दपाल
नागौर डीडवाना में पेशी से लौट रहे आनन्दपाल सिंह ने पुलिस वाहन में सवार कमांडों व जवानों को नशीली मिठाई खिला कर निढाल कर दिया था। छोटे भाई विक्की ने पुलिस के वाहन पर हमला किया तो पुलिस कमांडों जवाबी कार्रवाई भी नहीं कर सके। आनन्दपाल सिंह पुलिस के हथियार से कमांडों शक्ति सिंह के पैर में गोली मार कर उसकी आंखों के सामने से निकल गया। इसके बाद विक्की गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह को किस रास्ते से भगाकर ले गया। इसका सुराग करीब डेढ़ साल तक पुलिस नहीं लगा सकी।
नागौर डीडवाना में पेशी से लौट रहे आनन्दपाल सिंह ने पुलिस वाहन में सवार कमांडों व जवानों को नशीली मिठाई खिला कर निढाल कर दिया था। छोटे भाई विक्की ने पुलिस के वाहन पर हमला किया तो पुलिस कमांडों जवाबी कार्रवाई भी नहीं कर सके। आनन्दपाल सिंह पुलिस के हथियार से कमांडों शक्ति सिंह के पैर में गोली मार कर उसकी आंखों के सामने से निकल गया। इसके बाद विक्की गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह को किस रास्ते से भगाकर ले गया। इसका सुराग करीब डेढ़ साल तक पुलिस नहीं लगा सकी।
मालासर में किया एन्काउंटर
प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुका आनन्दपाल सिंह का पुलिस ने चुरू के मालासर में 24 जून 2017 को एन्काउंटर किया। यहां आनन्दपाल सिंह अपने परिचित के मकान में ठहरा हुआ था। यहां पुलिस मुठभेड़ में आनन्दपालसिंह की गोली लगने से मौत हो गई।
प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुका आनन्दपाल सिंह का पुलिस ने चुरू के मालासर में 24 जून 2017 को एन्काउंटर किया। यहां आनन्दपाल सिंह अपने परिचित के मकान में ठहरा हुआ था। यहां पुलिस मुठभेड़ में आनन्दपालसिंह की गोली लगने से मौत हो गई।