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ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का 810 वां उर्स विधिवत रूप से रजब का चांद दिखाई देने पर विधिवत शुरू होगा होगा। इससे पहले शनिवार को ख्वाजा साहब की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर उर्स (Garib Nawz URS)का झंडा चढ़ाने की रस्म हुई। भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन झंडा चढ़ाने की रस्म अदा की। गौरी परिवार 1944 से यह रस्म निभाता आ रहा है। उर्स की औपचारिक शुरुआत
बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म के साथ उर्स (Garib Nawz URS) की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है। अब अकीदतमंद की आवक धीरे-धीरे बढ़ेगी। रजब का चांद दिखने के बाद उर्स विधिवत शुरू होगा। इसके साथ दरगाह में गरीब नवाज के अकीदतमंद की तादाद बढ़ती चली जाएगी। उर्स के दौरान विभिन्न रसूमात और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म के साथ उर्स (Garib Nawz URS) की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है। अब अकीदतमंद की आवक धीरे-धीरे बढ़ेगी। रजब का चांद दिखने के बाद उर्स विधिवत शुरू होगा। इसके साथ दरगाह में गरीब नवाज के अकीदतमंद की तादाद बढ़ती चली जाएगी। उर्स के दौरान विभिन्न रसूमात और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
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महरौली शरीफ से पैदल रवाना हुए कलंदर गंज स्थित चिल्ले पर ठहरेंगे। वे यहां से छडिय़ों का जुलूस निकालेंगे। इस दौरान कलंदर हैरत अंगेज करतब पेश करते चलेंगे। ख्वाजा साहब के उर्स (Garib Nawz URS)के दौरान वे अजमेर शरीफ में ही रहेंगे। उर्स में छोटे कुल की रस्म के दौरान वे विभिन्न पारम्परिक रसूमात अंजाम देंगे।
महरौली शरीफ से पैदल रवाना हुए कलंदर गंज स्थित चिल्ले पर ठहरेंगे। वे यहां से छडिय़ों का जुलूस निकालेंगे। इस दौरान कलंदर हैरत अंगेज करतब पेश करते चलेंगे। ख्वाजा साहब के उर्स (Garib Nawz URS)के दौरान वे अजमेर शरीफ में ही रहेंगे। उर्स में छोटे कुल की रस्म के दौरान वे विभिन्न पारम्परिक रसूमात अंजाम देंगे।