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यहां मुखबिर देते सरकार को फीडबैक, फिर भी शर्मसार हो रहा है राजस्थान में

locationअजमेरPublished: Dec 03, 2017 04:04:47 pm

Submitted by:

raktim tiwari

पुलिस कार्रवाई के अलावा विभागीय लाइसेंस आदि रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं ला जा रही है।

illegal  sonopgraphy center

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अजमेर।

राजस्थान में लिंगानुपात के लगातार गिरने से चिंताजनक स्थिति बन गई है। बाल लिंगानुपात बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में किए जा रहे प्रयास की बदौलत इसमें सुधार के संकेत तो मिल रहे हैं मगर अभी भी लगातार प्रयास की जरूरत है। अजमेर शहर में पिछले छह माह में तीन से चार गर्भपात के मामले सामने आ चुके हैं। मगर पुलिस कार्रवाई के अलावा विभागीय लाइसेंस आदि रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं ला जा रही है।
राजस्थान में वर्ष 1981 में बाल लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 954 लड़कियां थी जो करीब 30 वर्षों में गिरते हुए 2011 की जनगणना में केवल 888 रह गई। वर्ष 1994 में पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1996 में इसके नियम तथा 2003 में आवश्यक संशोधन के बावजूद कन्या भ्रूण हत्या के कारण बाल लिंगानुपात में गिरावट जारी है। पिछले कुछ समय में राजस्थान में जनसंख्या का लिंगानुपात बढ़ रहा था।
भ्रूण ***** जांच के लिए राजस्थान में कड़े कानून के चलते पड़ौसी राज्यों में भ्रूण ***** जांच करवाई जा रही है। पिछले दो वर्षों में भ्रूण ***** जांच करवाने पर अन्तरराज्यीय डिकॉय ऑपरेशन किए जा रहे हैं। वर्ष 2016 में राजस्थान में पीबीआई की ओर से सफलतापूर्वक पड़ोसी राज्यों में जाकर की गई भ्रूण ***** जांच में लिप्त दलालों तथा चिकित्सकों की धरपकड़ की गई।
अब तक करीब 26 अन्तरराज्यीय डिकॉय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। उधर राजस्थान में वर्ष 2016 में 25 एवं वर्ष 2017 में करीब 41 डिकॉय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। अजमेर सहित राज्यभर में किए गए डिकॉय ऑपरेशन में करीब 228 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मुखबिर योजना हुई कारगर
पीसीपीएनडीटी के जिला को-ऑर्डिनेटर ओ.पी. टेपण के अनुसार मुखबिर योजना कारगर साबित हो रही है। इसके चलते डिकॉय ऑपरेशन एवं अवैध गर्भपात आदि की कार्रवाई सफलतापूर्वक अंजाम दी जा रही है। राजस्थान पहला प्रदेश है जहां सोनोग्राफी मशीन के साथ सोनोग्राफी की फिल्म रिकॉर्डिंग के लिए एक्टिव ट्रेकर लगाया गया है। अब सोनोग्राफी केन्द्रों पर जीपीएस लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
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