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बोली बेटियां….देवनानी जी हम तो चाहती हैं पढऩा, आप स्कूल तो कराइए अपग्रेड

locationअजमेरPublished: May 04, 2018 03:33:20 pm

Submitted by:

raktim tiwari

गांवों में ही स्कूल क्रमोन्नत हो जाएं तो बच्चों को काफी फायदा हो सकता है।

girls urged govt to upgrade school

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सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत बेटियों ने कहा कि हम आगे भी पढऩा चाहती हैं, गांव में दसवीं तक का विद्यालय नहीं है, सरकार अगर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से माध्यमिक में क्रमोन्नत अगर कर देती है तो उन जैसी सैकड़ों लड़कियां माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं। मसूदा ब्लॉक के ग्राम भरकाला के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्राएं एवं अभिभावक जिला मुख्यालय पहुंचे।
उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर बताया कि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने घोषणा की थी कि हर विधानसभा क्षेत्र से 3-3 राजकीय विद्यालयों को बिना भेदभाव, नामांकन व अन्य विद्यालयों की दूरी, भामाशाह के योगदान के आधार पर क्रमोन्नत किया जाएगा।
अभिभावकों में भी इस घोषणा की खुशी है। वर्ष 199 में प्राथमिक से राउप्रावि में क्रमोन्नत विद्यालय में कक्षा एक से पांच तक 99 छात्र व 105 छात्राएं हैं, कक्षा छह से आठ तक 45 छात्र एवं 50 छात्राएं हैं। कुल 299 का नामांकन है। छात्राओं ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र के इस गांव के विद्यालय की हमेशा उपेक्षा रही है।
इतने गांव निर्भर हैं भरकाला पर

छात्राओं व अभिभावकों ने ज्ञापन में बताया कि भरकाला गांव के इस विद्याल पर मुंडोती, बाणोता का बाडिय़ा, थळ का बाडिय़ा, कूपा बावड़ी, मालाजी का बाडिय़ा, खातोलाई, जाड़ाभाला, खारिया चोड़ा, नेतपुरा, लोहारों का बाडिय़ा आदि निर्भर हैं। यहां आठवीं के बाद बच्चों का भविष्य अंधकार में है।

गांवों में कई जगह परेशानी

राजस्थान में कई गांवों में स्कूल क्रमोन्नत नहीं है। कहीं पांचवीं तो कहीं आठवीं तक ही शिक्षा प्रदान की जा रही है। जबकि सरकार का दावा है, कि हर गांव,
पंचायत मुख्यालय, उपखंड और जिला स्तर पर बारहवीं तक स्कूल मौजूद है। स्कूल अपग्रेड नहीं होने से कई गांवों के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए 10 से 40 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ रही है। यदि गांवों में ही स्कूल क्रमोन्नत हो जाएं तो बच्चों को काफी फायदा हो सकता है।

उल्टे स्कूलों का एकीकरण…

भाजपा सरकार ने स्कूलों के एकीकरण पर भी ज्यादा जोर दिया है। सरकार का मानना है, पूववर्ती कांग्रेस राज में कई जगह बेवजह स्कूल खोल दिए गए। यहां पर्याप्त स्टाफ भी नहीं लगाया गया। इसके चलते वहां विद्यार्थियों की संख्या पर्याप्त नहीं थी। इसके उलट सरकार ने इन स्कूलों को क्रमोन्नत करती तो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के स्कूलों को फायदा हो सकता था।
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