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बाघ पर सवार हो आएंगी देवी संक्रांति, नष्ट होंगी बाधाएं, बरसेगी लक्ष्मी की कृपा

locationअजमेरPublished: Jan 14, 2022 01:55:45 am

Submitted by:

Dilip

मकर संक्रांति पर्व आज: सूर्य और शनि एक साथ होंगे मकर राशि में विराजमान – उत्तरायण काल में संक्रांति का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 2:4& बजे से लेकर शाम 5:45 बजे तक – भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का है विधान मकर संक्रांति का त्योहार पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। भगवान सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। Óयोतिषाचार्यों का कहना है कि इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व Óयादा खास रहने वाला है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य और

बाघ पर सवार हो आएंगी देवी संक्रांति, नष्ट होंगी बाधाएं, बरसेगी लक्ष्मी की कृपा

बाघ पर सवार हो आएंगी देवी संक्रांति, नष्ट होंगी बाधाएं, बरसेगी लक्ष्मी की कृपा

धौलपुर. मकर संक्रांति का त्योहार पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। भगवान सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। Óयोतिषाचार्यों का कहना है कि इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व Óयादा खास रहने वाला है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि एकसाथ मकर राशि में विराजमान होंगे। Óयोतिषों के अनुसार इस साल 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन पुण्यकाल और स्नान-दान का मुहूर्त बन रहा है। हालांकि, Óयादा उत्तम तिथि 14 जनवरी ही होगी। उत्तरायण काल में संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुकवार को दोपहर 2:4& बजे से लेकर शाम 5:45 बजे तक रहेगा। Óयोतिषाचार्य ने लोगों को अपने निवास स्थान और पंचांग के आधार पर मकर संक्रांति मनाने का सुझाव दिया है।
खास है इस बार की मकर संक्रांति

Óयोतिर्विदों के अनुसार, इस वर्ष संक्रांति देवी बाघ के वाहन पर आई हैं। संक्रांति देवी पीले वस्त्र पहनकर दक्षिण दिशा की ओर चलेंगी। मकर संक्रांति पर इस बार शत्रुओं का हनन होगा और बाधाएं नष्ट होंगी। शुक्रवार का दिन होने की वजह से मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहेगी। इस दिन तीर्थ धाम पर नदी या सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व बताया गया है। यदि किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान कर लें।
ऐसे प्रसन्न होंगे भगवान सूर्य नारायण

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है। इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अघ्र्य दें। गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है। भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
यह है उत्तरायण और दक्षिणायन

उत्तरायण देवताओं का दिन है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। दक्षिणायन की तुलना में उत्तरायण में अधिक मांगलिक कार्य किए जाते हैं। ये बड़ा शुभ फल देने वाले होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने खुद गीता में कहा है कि उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है। उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे। सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है और सूर्य जब मकर में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है।
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