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goverdhan pooja : कह रहा गोवंश, श्रीकृष्ण लो अवतार करो उद्धार

locationअजमेरPublished: Oct 26, 2019 08:01:11 pm

Submitted by:

dinesh sharma

गोवर्धन विशेष : घरों में हो रहा पूजन, बाहर घूम रहे गोवंश का भी हो संरक्षण
1000 : से अधिक गोवंश घूम रहा है बाहर
400 : गोवंश नगर निगम के कांजी हाउस में
06 : से अधिक गोशाला हैं छोटी-बड़ी अजमेर में
1500 : लगभग गोवंश पल रहा है गोशालाओं में

goverdhan pooja : कह रहा गोवंश, श्रीकृष्ण लो अवतार करो उद्धार

goverdhan pooja : कह रहा गोवंश, श्रीकृष्ण लो अवतार करो उद्धार

दिनेश कुमार शर्मा

अजमेर.

द्वापर में जहां श्रीकृष्ण के मुरली की तान छेड़ते ही गोवंश आनंदित हो उठता था, वहीं कलियुग में गोवंश को संरक्षण की दरकार है। कान्हा की बांसुरी के मधुर संगीत पर मोहित जो गोवंश उनके पीछे-पीछे जंगल-जंगल और वृंदावन की गली-गली घूमता था, आज वही गोवंश संरक्षण के अभाव में सड़क पर घूम रहा है। इन हालात में जैसे गोवंश की श्रीकृष्ण से यही पुकार है कि हे कृष्ण, फिर लो अवतार और करो उद्धार।
गाय में देवों का वास माना जाता है। उसकी पूजा की जाती है, लेकिन इसके लिए अब दिन विशेष तय कर दिए गए हैं। गोवर्धन पूजन, गोपाष्टमी, बच्छ बारस आदि, बाकि दिनों में गोवंश सड़कों पर घूमता नजर आता है।
नगर निगम का नियम

शहर में 1000 से अधिक गोवंश सड़कों पर घूम रहा है। नगर निगम की ओर से समय-समय पर इन्हें पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता है। इनके पालकों से जुर्माना वसूला जाता है और पशुपालक के नहीं आने पर गोवंश को जंगल में छोड़ दिया जाता है।
सरकार का सरोकार

सरकार की ओर से गोशालाओं में पल रहे गोवंश के लिए अनुदान दिया जाता है। गोशालाओं से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। सरकार की ओर से मात्र 3 से 6 महीने तक का अनुदान दिया जाता है, जबकि गोवंश को 12 महीने पाला जाता है।
हम भी भूले

पूर्व में घरों में गो-ग्रास की प्रथा थी, जिसे अधिकांश लोगों ने भुला दिया। घर में पहली बनी रोटी गाय को दी जाती थी, जिससे गाय का पालन आसान हो जाता था और पुण्य कमाने का संतोष रहता था।
गोशालाओं में पल रहा गोवंश

अब गोवंश घरों में कम और गोशालाओं में अधिक पल रहा है। शहर में 6 से अधिक छोटी-बड़ी गोशालाएं हैं। इनमें श्री पुष्कर गो आदि पशुशाला की पुष्कर रोड ऋषि घाटी और लोहागल रोड स्थित दो अन्य गोशालाओं में 700 से अधिक गोवंश पल रहा है।
श्री सीता गोशाला पहाडग़ंज में करीब 250 गोवंश, गोपाल गोशाला, चाचियावास सहित नारेली गोशालाओं में भी बड़ी संख्या में गायों का पालन हो रहा है।

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सरकार को अनुदान समय पर दिलाने का प्रयास करना चाहिए। गायों को संभालने के लिए 20 से अधिक का स्टाफ है। ऐसे में भामाशाहों को भी भागीदारी निभानी चाहिए।

संजय अग्रवाल, सह सचिव, श्री पुष्कर गो आदि पशुशाला समिति
गोशाला की ओर से बछड़ों के उपयोग, आर्गेनिक खेती, केंचुआ खाद, देशी गाय संवद्र्धन सहित खेती को गोबर आधारित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

सुरेश मंगल, सचिव श्री सीता गोशाला समिति
सरकार से आस

अनुदान बढ़ाएं, समय पर मिले और प्रक्रिया सरल हो

गोशालाओं की चारदीवारी के लिए बजट मिले

गोशालाओं की जमीन से अतिक्रमण हटवाए जाएं यह करे आमजन

सड़कों की बजाय चारा गोशाला में डालें
बच्चों को गोसेवा के लिए प्रेरित करें

गो-ग्रास की प्रथा को पुन: जीवित करें

नौकरीपेशा भी गोपालन को अंशदान प्रदान करें

खुशी व गम के मौके पर गायों को चारा खिलाएं
क्यों मनाते हैं गोवर्धन

इन्द्रदेव ने क्रोधित होकर अतिवृष्टि की, जिस पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाकर लोगों और पशुओं की रक्षा कर इन्द्र का घमंड चूर-चूर किया। अब इस दिन को गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर फूलों से शृंगार के बाद मंत्रोच्चार से पूजन कर मनाते हैं।
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