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राज्यपाल के एक लेटर से मची सभी यूनिवर्सिटी में खलबली, जानिए क्यों छूट रहे हैं अफसरों के पसीने

locationअजमेरPublished: Mar 29, 2018 04:03:11 pm

Submitted by:

raktim tiwari

राज्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालयों को अपनी सख्ती का नमूना भी दिखाया है।

governor house wants report

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राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह की विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर सख्ती जारी है। इसी कड़ी में उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती सहित सभी विश्वविद्यालयों से राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान कीबजट उपयोगिता की सूचना मांगी है।
यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत और राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) से ग्रेडिंग धारक विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय उच्चत शिक्षा अभियान के तहत बजट मिलता है। इसके तहत विकास कार्यों, शैक्षिक कॉन्फे्रंस, कार्यशाला, प्रयोगशाला में उपकरणों की खरीद, भवन निर्माण और अन्य कार्य शामिल हैं। राजभवन ने रूसा के बजट को लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों से बजट उपायेगिता, अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित अन्य सूचनाओं का ब्यौरा भेजने को कहा है।
पहले मांगी थी प्रबंध मंडल की सूचना

राजभवन ने हाल में विश्वविद्यालय से प्रबंध मंडल में आने वाले सदस्यों की सूचना मांगी थी। कुलपति की अध्यक्षता वाले प्रबंध मंडल में दो विधायक, विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर, डीन कोटे से नियुक्त सदस्य, उच्च शिक्षा, योजना विभाग, वित्त विभाग के शासन सचिव, स्नातकोत्तर कॉलेज के दो प्राचार्य सदस्य होते हैं। कुलसचिव सदस्य सचिव के रूप में बैठक में शामिल होते हैं। बॉम की बैठकों में कई बार कुछेक सदस्य बिना उपस्थिति ही अपनी स्वीकृति भेजते रहे हैं।
सख्त हैं राज्यपाल सिंह
राज्यपाल कल्याण सिंह की नियुक्ति वर्ष 2014 में हुई थी। वे पिछले तीन साल में अपने फैसलों और विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर सख्ती दिखा चुके हैं। राज्यपाल सिंह ने ही सभी विश्वविद्यालयों में बायो मेट्रिक अटेंडेंस शुरू कराई। उन्होंने कुलपतियों से नियमित ब्यौरा मांगना भी शुरू किया है। इसके अलावा भर्तियों को लेकर भी कई बार पूछताछ की है।
नहीं गए दीक्षान्त समारोह में
राज्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालयों को अपनी सख्ती का नमूना भी दिखाया है। पिछले साल वे राजस्थान विश्वविद्यालय, जोधपुर के जयनारायण विश्वविद्यालय और इस साल बीकानेर के महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी के दीक्षान्त समारोह में नहीं गए। राजभवन ने उनके नहीं जाने की वजह नहीं बताई। लेकिन यह माना गया है, कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कामकाज से ज्यादा संतुष्ट नहीं हैं।
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