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सरकार का फरमान-हम से ऊपर नहीं कोई, आरपीएससी को भुला दो काम करना

locationअजमेरPublished: Dec 13, 2017 08:49:55 am

Submitted by:

raktim tiwari

संयुक्त पोर्टल पर भर्तियों के विज्ञापन और अहम सूचनाएं अपलोड करने से इसका कामकाज प्रभावित होगा। वेबपोर्टल से आयोग को दूर रखा जाना चाहिए।

web portal of rpsc

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अजमेर।

प्रदेश सरकार राजस्थान लोक सेवा आयोग की खास महत्ता को तवज्जो नहीं देना चाहती है। भर्तियों में गोपनीयता से वाकिफ होने के बावजूद सरकार संयुक्त वेबपोर्टल पर आयोग को शामिल करने पर आमादा है। आयोग पर दबाव बनाने के लिए वेबसाइट की मेंटीनेंस का नया टेंडर और बजट भी नहीं दिया गया है।
आजादी के प्रदेश में 16 अगस्त 1949 को राजस्थान लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। बरसों तक आयोग के पास प्रदेश में आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा कामकाज रहा। वर्ष 2003-04 के बाद इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती, कृषि, द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती, यूनानी-हो योपैथी चिकित्साधिकारी, प्रधानाचर्य भर्ती, सहायक आचार्य रेडियो थेरेपी, कृषि अनुसंधान अधिकारी और अन्य भर्तियां मिलती चली गई। इसके चलते आयोग पर गोपनीयता और कामकाज का बोझ बढ़ता चला गया।
जोड़ें आयोग को संयुक्त वेबपोर्टल से

राजस्थान लोक सेवा आयोग का पृथक वेबपोर्टल बना हुआ है। इस पर आयोग भर्तियों के विज्ञापन, ऑनलाइन आवेदन, विस्तृत आवेदन पत्र और अन्य सूचनाएं अपलोड करता रहा है। सरकार आयोग को भी संयुक्त वेबपोर्टल से जोडऩा चाहती है।
इस वेबपोर्टल पर राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से होने वाली भर्तियां, प्रदेश के सभी सरकारी विभागों की सूचनाएं, भर्तियां, प्रतियोगी परीक्षाएं, विज्ञापन, रोजगार और अन्य सूचनाओं को एकजाई किया जाना है। कार्मिक विभाग ने आयोग को भी इस बारे में पत्र भिजवाया।
आयोग की गोपनीयता है अहम…….
कार्मिक विभाग से पत्र मिलने के बाद आयोग ने प्रत्युत्तर भिजवाया। इसमें कहा गया कि आररएएस एवं अति महत्वपूर्ण भर्तियों के लिहाज से आयोग का कामकाज बेहद गोपनीय है। गोपनीयता ही आयोग की साख है। संयुक्त पोर्टल पर भर्तियों के विज्ञापन और अहम सूचनाएं अपलोड करने से इसका कामकाज प्रभावित होगा। ऐसे में वेबपोर्टल से आयोग को दूर रखा जाना चाहिए।
रोका बजट, अटकी पोर्टल की मेंटेनेन्स

अधिकृत सूत्रों के अनुसार आयोग को झटका देने के लिए सरकार ने अलग ही राह निकाली। सरकार ने आयोग के वेबपोर्टल की मेंटेनेन्स और संचालन के लिए बजट जारी नहीं किया। इसके चलते वेबपोर्टल का कामकाज प्रभावित है। बजट के अभाव में आयोग द्वारा नई फर्म को पोर्टल की जिम्मेदारी संभव नहीं है।
संवैधानिक संस्था या सरकारी विभाग!

आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसका गठन राजस्थान लोक सेवा आयोग सेवा की शर्तें नियम-1951 के तहत किया गया। साथ ही इसका कार्य निर्धारण राजस्थान लोक सेवा आयोग नियम एवं शर्तें 1963, राजस्थान लोक सेवा आयोग ( शर्तें एवं प्रक्रिया का मान्यकरण अध्यादेश -1975, नियम-1976) के तहत हुआ है। इसकी संवैधानिक महत्ता हमेशा बरकरार रही है।
यहां अध्यक्ष पद एक दिन भी खाली नहीं रहता है। स्थायी अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने या गैर मौजूदगी में वरिष्ठ सदस्य पदभार संभालते है। लेकिन बीते ढाई महीने से यह नियम भी टूट चुका है। मौजूदा वक्त अध्यक्ष पद का कार्यभार किसी भी वरिष्ठ सदस्य के पास नहीं है।
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