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अजमेर से विशेष नाता था ऋषि दयानंद का, सरकार ही भुला बैठी उनको

locationअजमेरPublished: Sep 23, 2018 08:12:47 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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research chair in university

research chair in university

अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती के नाम पर देश के कई विश्वविद्यालयों दयानंद चेयर की स्थापना होगी। यूजीसी ने यह कहते हुए विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव मांगे थे। लेकिन सरकार महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर को भूल गई है। यहां अब तक ऋषि दयानंद चेयर नहीं बन पाई है।
ऋषि दयानंद के नाम पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दयानंद चेयर की स्थापना की जानी है। इसके लिए विश्वविद्यालयों से यूजीसी ने साल 2017 में चेयर के लिए आवेदन, इसमें संचालित गतिविधियां-कोर्स और अन्य प्रस्ताव मंगवाए थे।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में भी ऋषि दयानंद चेयर और वैदिक पार्क की स्थापना होनी है। लिहाजा विश्वविद्यालय ने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा। बीते साल अक्टूबर में ऋषि मेले में आए केंद्रीय मानव संसाधन विकास, जल संसाधन और गंगा पुनुरुद्धार मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने इसकी घोषणा की थी।
नहीं पारित हुआ प्रस्ताव

प्रस्तावित चेयर और वैदिक पार्क में आमजन, आर्य विद्वानों, विद्यार्थियों-शोधार्थियों को वैदिक संस्कृति, ऋषि दयानंद की शिक्षाओं और परम्पराओं को जानने का अवसर मिलेगा। लेकिन यूजीसी ने आठ महीने पहले ही प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इसके पीछे स्थाई कुलपति और स्टाफ की कमी होना बताया गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में प्रस्ताव भेजा। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
5 करोड़ में बनेगा पार्क

वैदिक पार्क कुलपति निवास के समक्ष बनना है। इसमें 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। विश्वविद्यालय को दयानंद चेयर की स्वीकृति का भी इंतजार है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव ले लिए हैं। लेकिन अजमेर को फिलहाल चेयर नहीं मिली है। के बाद मंजूरी जारी करेंगे।
विश्वविद्यालय ने प्रो. प्रवीण माथुर को दयानंद पीठ और प्रस्तावित दयानंद चेयर की जिम्मेदारी सौंपी है। यहां कई शैक्षिक कार्यक्रम, शोध कार्य, वैदिक संगोष्ठी और व्याख्यान होंगे। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. निसार अहमद मीर ने ऋषि दयानंद महान समाज सुधारक थे। उन्होंने वेदों के प्रचार-प्रसार के अलावा कई रूढ़ीवादी परम्पराओं के खिलाफ आवाज बुलंद की।
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