इससे पूर्व दिल्ली अहमदाबाद मुंबई और केरल में इस प्रकार की चार शादियां हो चुकी हैं। नागौर के परबतसर गांव के पास स्थित एक गांव निवासी नेहरू वैष्णव बचपन से ही थैलेसीमिया रोग से ग्रसित बताई जाती हैं। नीरु की देखरेख करने वाले अजमेर रीजन के थैलीसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के सचिव ईश्वर पार्वती ने बताया कि नीरू के एक पखवाड़े में 1 लीटर खून चढ़ाया जाता है। वे स्वस्थ हैं और उनका वैष्णव धर्मशाला में सामूहिक विवाह सम्मेलन के दौरान मेड़ता के धोले राव गांव निवासी प्रकाश वैष्णव के साथ विवाह संपन्न हुआ। उनका कहना है कि स्वयं प्रकाश को इस बात की जानकारी है कि उसकी होने वाली दुल्हन के थैलेसीमिया रोग है। उसे प्रत्येक पखवाड़े में खून चढ़ाया जाता है। उसके बावजूद उसने स्वेच्छा से उसे भगवान का वरदान मानकर दुल्हन बनाने पर सहमति दे दी।
यही नहीं वह स्वयं भी कई बार नीरू को खून चढ़ाने के वक्त मौजूद रह चुका है। आमतौर पर समाज के सामूहिक विवाह में दूल्हा दुल्हन का विवाह कराया जाना आम बात है, लेकिन पुष्कर की वैष्णव धर्मशाला में वैष्णव समाज के इस लंबे सामूहिक विवाह सम्मेलन में इस प्रकार का यह देश का पांचवा विवाह संपन्न हुआ है जो एक रिकॉर्ड है। खास बात है कि इन दोनों की शादी से दोनों के परिवार लोग बहुत खुश हैं।