अजमेर . समाज के हर क्षेत्र में तेजी के बढ़ते प्रोफेश्नलिज्म और कॉम्पिटिशन से स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय सेवाएं भी अछूती नहीं रही हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान में नित नवीन जांच तकनीक एवं चिकित्सालय सुविधाओं के विस्तार और दूर दराज,ठेठ गांव देहात में सहज और सरल उपलब्धता के बावजूद डाक्टरों के प्रति आमजन का विश्वास और सम्मान कहीं घटता प्रतीत होने लगा है। मरीज की डॉक्टर के प्रति नजर और डॉक्टर का मरीज के प्रति नजरिया लगता है कुछ बदल सा गया है। समाज में डॉक्टर को मिलने वाला सम्मान और उसे दिए जाने वाले भगवान का दर्जा अब कहीं धुंधलाने लगा हैं। जैसे जैसे लोगों में चिकित्सा ज्ञान-विज्ञान की समझ बढऩे लगी है उन्हें कभी डॉक्टर में व्यापारी तो डॉक्टर को मरीज में ग्राहक दिखाई देने लगा है। जबकि सच और सच्चाई यही है कि हर पीड़ा का कोई कारण है और हर पीडि़त के लिए ईश्वर का दिया कोई निदान है। पीडि़त मानव हित में हमें तो बस एक सकंल्प करना चाहिए कि वह रोग से लड़ाई में डॉक्टर को अकेला ना छोड़े बल्कि रोग से लडऩे के लिए टीम भावना रखें। एक जुलाई को डॉक्टर्स -डे पर अजमेर के जाने माने कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों का संदेश……
डॉक्टर भी इंसान है, भगवान नहीं
अजमेर के जाने माने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के डॉ. प्रशांत माथुर ने डॉक्टर्स -डेे पर आमजन को संदेश दिया कि डॉक्टर को भगवान ना समझें और डॉक्टर भी खुद को भगवान ना समझे। क्योंकि वह खुद भी एक इंसान ही है। शिक्षाएं ज्ञानार्जन और मेहनत कर वह इस मुकाम पर पहुंचा है कि रोग का निदान देने में सक्षम हुआ है। रोगी के लिए डॉक्टर और डॉक्टर के लिए रोगी और उसके परिवारजन मिलकर एक टीम बनती है जो रोग से लड़ाई कर उस पर जीत हासिल करने के लिए प्रयास करती है। रोग से लड़ाई में डॉक्टर को अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। टीम भावना से ही जीत मिलती है। डॉक्टर तो उसी टीम का हिस्सा होता है जिस रोग से मरीज को लड़ाई करनी हैए बीमारी को दूर करना है
अजमेर के जाने माने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के डॉ. प्रशांत माथुर ने डॉक्टर्स -डेे पर आमजन को संदेश दिया कि डॉक्टर को भगवान ना समझें और डॉक्टर भी खुद को भगवान ना समझे। क्योंकि वह खुद भी एक इंसान ही है। शिक्षाएं ज्ञानार्जन और मेहनत कर वह इस मुकाम पर पहुंचा है कि रोग का निदान देने में सक्षम हुआ है। रोगी के लिए डॉक्टर और डॉक्टर के लिए रोगी और उसके परिवारजन मिलकर एक टीम बनती है जो रोग से लड़ाई कर उस पर जीत हासिल करने के लिए प्रयास करती है। रोग से लड़ाई में डॉक्टर को अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। टीम भावना से ही जीत मिलती है। डॉक्टर तो उसी टीम का हिस्सा होता है जिस रोग से मरीज को लड़ाई करनी हैए बीमारी को दूर करना है
खुश रहने में दिल की मजबूत जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एम.जी. अग्रवाल ने डॉक्टर्स-डे पर संदेश में कहा कि हर हाल में खुश रहने से दिल मजबूत होता है। मौजूदा दौर में लोगों का हर समय तनावग्रस्त रहना शरीर में कई तरह के रोगों को आमंत्रण के साथ स्वयं पीड़ा का द्वार खोलने जैसा है। जहां एक ओर चिकित्सा विज्ञान तरक्की के साथ मृत्यु पर अधिकतम आयु तक जीत की ओर अग्रसर है वहीं लोग हैं कि दैनिक जीवन की छोटी.छोटी बातों से तनावग्रस्त रहकर रोगों को गले लगा रहे हैं। इससे बचना चाहिए।
सकारात्मक चिंतन फिजीशियन डॉ. तरुण सक्सेना का डॉक्टर्स-डे पर कहना है कि सदैव सकारात्मक सोचें और विश्वास रखें। स्वस्थ रहने के लिए यह सूत्र सबसे कारगर है। प्रतिदिन व्यायाम करें। लौपटॉप, मोबाइलए कंम्म्प्यूटर और टीवी से अधिकतम बचने का प्रयास करें। मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें। अंकुरित अनाज व बादाम का सेवन को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं।
बीमारी को उसके शुरुआत में ही दबोच लें
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ.रणवीर सिंह चौधरी का कहना है कि बीमारी को उसके शुरुआत में ही दबोच लिया जाना चाहिए। कोई भी बीमारी हो उसके शुरुआती दौर में उसका चिकित्सक से समय पर उपचार करवाने से बीमारी को रोका जा सकता है। अपने लाइफ स्टाल में बदलाव से भी रोग के बढऩे पर रोक लग जाती है। मौजूदा लाइफ स्टाइल के चलते ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर,हृदय रोग, मोटापा जैसी बीमारियां लोगों को जकड़ रही हैं। इन बामारियों से बचाव करें। धूम्रपान व शराब का सेवन नहीं करें और प्रतिदिन कम से कम 45 मिनिट सप्ताह में पांच दिन व्ययाम करें जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ.रणवीर सिंह चौधरी का कहना है कि बीमारी को उसके शुरुआत में ही दबोच लिया जाना चाहिए। कोई भी बीमारी हो उसके शुरुआती दौर में उसका चिकित्सक से समय पर उपचार करवाने से बीमारी को रोका जा सकता है। अपने लाइफ स्टाल में बदलाव से भी रोग के बढऩे पर रोक लग जाती है। मौजूदा लाइफ स्टाइल के चलते ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर,हृदय रोग, मोटापा जैसी बीमारियां लोगों को जकड़ रही हैं। इन बामारियों से बचाव करें। धूम्रपान व शराब का सेवन नहीं करें और प्रतिदिन कम से कम 45 मिनिट सप्ताह में पांच दिन व्ययाम करें जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।
घातक है अधूरा ज्ञान श्वास, फेफड़े व अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद दाधीच ने डॉक्टर्स-डे पर कहा कि चिकित्सक से परामर्श के बिना कोई दवाई स्वयं ही खरीद कर ना खाएं। किसी भी चीज के बारे में पूरी जानकारी रखें। अधूरा ज्ञान घातक होता है और अविश्वास को भी बढ़ाता है। आज के दौर में चिकित्सक व मरीज के बीच जो दूरियां बन रही हैं वह आधा ज्ञान प्राप्त करने या फिर सुने सुनाए पर भरोसा कर अपना मत बनाने के कारण ही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वेंटीलेटर कृत्रिम श्वास देने का काम करता है न कि हृदय व दिमाग चलाने का। लोग मरीज को वेंटीलेटर पर रखने का विरोध अपने अधूरे ज्ञान के कारण ही करते हैं। मेडिकल स्टोर पर चिकित्सक की पर्ची के बिना दवाइयों का क्रय विक्रय नहीं होना चाहिए।