अजमेर

हासियावास… बस नाम ही काफी है

7 साल में गांव ने करीब 50 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को किया तैयार
संसाधनों की कमी के बावजूद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया नाम

अजमेरMar 16, 2023 / 11:36 pm

Anil Kailay

हासियावास… बस नाम ही काफी है

अनिल कैले
अजमेर. हासियावास, बस नाम ही काफी है। क्यों ? क्योंकि करीब डेढ़ हजार की आबादी के इस गांव ने पुरुष प्रधान माने जाने वाले फुटबॉल खेल में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की करीब पचास महिला खिलाड़ियों को तैयार किया है। विडम्बना यह है कि एक समुदाय विशेष की इन खिलाड़ियों ने जो भी मुकाम हासिल किया, अपने दम पर हासिल किया।
इन होनहार खिलाड़ियों ने आगे बढ़ने के लिए किसी भामाशाह या किसी सरकारी योजना का सहारा नहीं लिया। इन्हें दरकार है एक अदद खेल मैदान की ताकि वे अपनी प्रतिभा को सही मायने में निखार सकें।
ना मैदान, ना गोल पोस्ट

फुटबॉल ऐसा खेल है जिसमें निखरने के लिए स्किल, स्पीड और स्टेमिना तीनों की बराबर जरूरत पड़ती है। ये तीनों गुण तभी पनप पाते हैं जब अभ्यास के लिए सही मैदान हो। हासियावास में इसी की कमी है। लड़कियां एक स्कूल के मिट्टी से भरे छोटे से मैदान पर अभ्यास करती हैं। मैदान पर घास तो दूर, फुटबॉल के लिए जरूरी गोल पोस्ट भी नहीं लगे हुए। घर में दूध, दही, घी और मोटे अनाज की डाइट लेने के कारण लड़कियों की कद काठी तो मजबूत है लेकिन खेल के मूलभूत गुण विकसित करने के लिए इन्हें कहीं बेहतर सुविधाओं की दरकार है।
भामाशाह और सरकार बढ़ाएं हाथ तो बने बात

गांव की लड़कियों में फुटबॉल की अलख जगाए रखने में उन्हें प्रशिक्षण दे रहे सुधीर जोसफ और जिला फुटबॉल संघ के अध्यक्ष हेमंत भाटी का बड़ा योगदान है। संघ की ओर से उन्हें फुटबॉल उपलब्ध कराई जाती है। हासियावास के सरपंच हरिकिशन गुर्जर लड़कियों को फुटबॉल की किट के रूप में मदद करते हैं। इस मदद के बावजूद कई लड़कियों को खेलने के लिए स्टड नहीं मिल पर रहे। फुटबॉल भी सीमित संख्या में मिलती है। स्कूल के जिस मैदान में अभ्यास करते हैं वहां कंटीली झाड़ियां है। फुटबॉल बार- बार वहां जाने पर पंक्चर हो जाती है जिसे दुरुस्त कराने के लिए धनाभाव आड़े आ रहा है। गांव में चरागाह की काफी भूमि है। ग्राम पंचायत मनरेगा के जरिए यहां खेल मैदान तैयार करवा सकती है। विद्यालय भवनों के लिए धन उपलब्ध कराने वाले भामाशाह आगे आएं तो हासियावास की लड़कियां फुटबाल में डंका बजाने में कहीं पीछे रहने वाली नहीं हैं।
परिजन का खेल से दूर तक वास्ता नहीं

हासियावास अजमेर जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर दूर है। ये गांव गुर्जर बाहुल्य है। अधिकांश परिवार खेतीबाड़ी और पशुपालन से गुजर बसर कर रहे हैं। करीब सात वर्ष पूर्व वर्ष 2016 में महिला जन अधिकार समिति नामक एनजीओ ने गांव की लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया। इसी दौरान पढ़ाई में मन लगाने के लिए फुटबाल खिलाना शुरू किया। धीरे-धीरे लड़कियों का रूझान खेल की ओर बढ़ता चला गया। गौरतलब है कि फुटबॉल खेल रही किसी भी लड़की के परिजन का खेलों से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा।
प्रतिभा की कमी नहीं
हासियावास की लड़कियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। इनके इरादे मजबूत हैं। फिटनेस भी अच्छी है। घासयुक्त अच्छा मैदान मिल जाए तो इनका अभ्यास बेहतर हो सकता है।

सुधीर जोसफ, कोच व सचिव, अजमेर जिला फुटबॉल संघ
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