ऐसे करते हैं चोरी उपभोक्ता शाम होते ही मकान के सामने से निकल रही विद्युत लाइन पर जम्फर डाल देते हैं और सुबह जम्फर हटा लेते हैं। इस दौरान मकान के एसी, कूलर, हीटर सहित अनेक विद्युत उपकरणों का जमकर उपयोग करते हैं। कई उपभोक्ता तो दादागिरी से दिन में भी जम्फर नहीं हटाते हैं। ऐसे में बिजली चोरी पर की जाने वाली कार्रवाईयों के दौरान विद्युत दल को विरोध का सामना करना पड़ता है।बिजली की डीपियों की तोड़ी बैल्डिंगविद्युत निगम ने बिजली चोरी रोकने के मद्देनजर बिजली सप्लाई के लिए लगी डीपियों पर गेट बैल्डिंग करते हुए इसे बंद कर दिया, लेकिन बिजली चोरों ने डीपियों में लगी बैल्डिंगों को तोड़ते हुए बिजली चोरी फिर से शुरू कर दी। निगम ने सर्वे भी कराया और एक फिर से बैल्डिंग करते हुए चोरी रोकने का प्रयास किया, लेकिन कुछ दिनों बाद स्थिति ढाक के तीन पात की तरह ही हो गई।
निगम अधिकारियों की मानें तो बिजली चोरी के दौरान संबंधित थाना पुलिस की ओर से सहयोग नहीं किया जाता है। ऐसे में कार्रवाई करने वाले दल को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अधिकारियों का कहना है कि अगर पुलिस की ओर बिजली चोरी की कार्रवाई में सहयोग दिया जाएं तो कहीं हद तक बिजली चोरी पर लगाम लगाई जा सकती है।प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व नुकसानविद्युत चोरी व छीजत के चलते जयपुर विद्युत वितरण निगम को प्रति वर्ष कई करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। निगम अधिकारियों की मानें तो सर्वाधिक चोरी बसेड़ी कस्बे में हो रही है। इसके अलावा धौलपुर, राजाखेड़ा, बाड़ी, सैपऊ, सरमथुरा में भी बिजली चोरी बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं की ओर से की जा रही है।