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यहां भूखण्डों पर मकान नहीं, उगते है विषझाड़

locationअजमेरPublished: Dec 28, 2019 09:32:29 am

Submitted by:

manish Singh

पत्रिका अभियान : मकान तो बने नहीं, खाली भूखण्डों में विलायती बबूल का बढ़ रहा साम्राज्य, पृथ्वीराज नगर योजना व डीडी पुरम समेत कई योजना में उगी है झाडिय़ां

यहां भूखण्डों पर मकान नहीं, उगती है कटिली झाडिय़ां

यहां भूखण्डों पर मकान नहीं, उगती है कटिली झाडिय़ां

मनीष कुमार सिंह

अजमेर. विलायती बबूल (जूलीफ्लोरा) अब अरावली पहाड़ी से उतर कर शहरी क्षेत्र में बसने वाली कॉलोनियों में तेजी से फैल चुका है। हालात यह है कि अजमेर विकास प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनियों में छायादार वृक्ष और डिवाइडर पर फूलदार पौधे लगाए जाने थे। वहां जूलीफ्लोरा ने अपनी जड़ें गहरी जमा ली है।
पंचशील नगर योजना के सामने 12 साल पहले बनाई गई पृथ्वीराज नगर योजना में जहां मकान और सड़कों पर हरियाली होनी थी, वहां सिर्फ कंटिली झाड़ी जूलीफ्लोरा के सिवाय कुछ नजर नहीं आता। आलम यह है कि यहां सड़क पर पैदल चलने वाले राहगीर को भी संभल-संभल कर कदम बढ़ाना पड़ता है। सड़कों पर विलायती बबूल के कांटे इधर-उधर फैले रहते है। वहीं काटे गए भूखण्डों में जूलीफ्लोरा की झाडिय़ां उगी है।
डिवाइडर भी है अटे-
पृथ्वीराज नगर योजना में अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से सड़क, विद्युत पोल, स्ट्रीट लाइट और डिवाइडर तक की सुविधा जुटा दी गई, लेकिन सार-संभाल के अभाव में डिवाइडर और स्ट्रीट लाइट तक विलायती बबूल से घिरी है। ऐसे में इन लाइट का चलना और उन्हें दुरुस्त करना सब भगवान भरोसे है।
यह होना चाहिए था-

पृथ्वीराज नगर योजना ही नहीं वरन् एडीए की तमाम योजनाओं में खाली भूखण्ड और प्रस्तावित योजना के मार्ग में कंटीली झाडिय़ों के स्थान पर छायादार व फल-फूल वाले पेड़ विकसित किए जा सकते थे। बारह साल पहले बनी पृथ्वीराज नगर योजना में भी पौधे विकसित किए जाते तो कॉलोनी के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता। इसी तरह तबीजी ब्यावर रोड स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय योजना में भी हालात जस के तस है।
लकड़ी गल जाए, पर कांटा नहीं-
जाटली निवासी किसान हरिराम चौधरी ने बताया कि विलायती बबूल की लकड़ी सिर्फ ईंधन (जलाने) के काम आती है। लकड़ी से ज्यादा विलायती बबूल का कांटा खतरनाक है। कांटा चाहे इंसान के लगे या पशु को। कांटे के गंभीर परिणाम आते है। खास बात यह है कि लकड़ी भले गल जाती है लेकिन कांटा कभी नहीं गलता। जो वन्य जीवों के साथ मवेशियों के लिए भी घातक है।
इनका कहना है

मामला सामने आया है। अधिकारियों से बात कर हटाने का प्रयास किया जाएगा।
गौरव अग्रवाल, आयुक्त एडीए

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