नवीन प्लांट में अमरीका,जर्मनी, जापान, फ्रांस, डेनमार्क आदि देशों की आधुनिक मशीनें लगाई गई है। डेयरी के पास प्रतिदिन 10 लाख लीटर दुग्ध प्रोसेसिंग तथा 30 मीट्रिक टन का पाउडर प्लांट है। डेयरी से करीब 800 सहकारी समितियां जुड़ी हुई हैं। जिले के करीब 40 हजार पशुपालक इनसे जुड़े हैं। इन्हें रोजगार उपलब्ध हो रहा है। प्रतिमाह डेयरी के जरिए करीब 30 करोड़ रूपया जिले के गांवो तक पहुंच रहा है। जिलेभर में 2300 डेयरी बूध व पार्लर भी संचालित हैं।
हर गांव को जोडऩे की योजना अब तक जिले के 1125 में से 825 गावों को डेयरी से जोड़ा जा चुका है। जबकि जिल की 325 में से 291 ग्राम पंचायतों को डेयरी से जोड़ा जा चुका है। डेयरी प्रबन्धन का लक्ष्य हर गांव व ग्राम पंचायत को डेयरी से जोडऩा है। इससे अमूल सहित अन्य निजी क्षेत्र की डेयरियों को कड़ी टक्कर दी जा सके।
बनाए जा रहे यह प्रोडक्ट वर्तमान में करीब 4 लाख लीटर दुग्ध प्रोसेस किया जा रहा है। डेयरी के पुराने प्लांट के जरिए गाय का दूघ प्रोसेस करने की योजना है। सालाना 4 हजार मीट्रिक टन घी का उत्पादन होता है। डेयरी के बड़े और आधुनिक प्लांट के जरिए दूध, घी के अलावा अब आईस्क्रीम, बटर, पड़ा, बर्फी, मावा, दही, श्रीखंड, छाछ लस्सी, फ्लेवर्ड मिल्क, बटर, व्हाईट बटर भी बनाया जा रहा है। व्हाइट बटर राजस्थान में केवल अजमेर डेयरी ही बना रही है। जल्द ही डेयरी चीज सहित 45 प्रोडक्ट बाजार में उतारेगी। डेयरी की मोबाइल वैन भी संचित की जा रही हैं।
दुग्ध पाउडर बना कर हो रही कमाई सहकारिता क्षेत्र में अजमेर डेयरी ऐसी पहली डेयरी है जिसके पास प्रतिदिन 30 मैट्रिक टन पाउडर बनाने वाला प्लांट है। इसके निर्माण पर 97 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। पाउडर प्लांट बनने से उपभोक्ताओं और दुग्ध उत्पादकों दोनो को फायदा हो रहा है। अब तक अजमेर डेयरी के अतिरिक्त दूध को दिल्ली, हरियाणा और यूपी के प्राइवेट प्लांटों में पाउडर बनवाना पड़ता था लेकिन नया प्लांट बनने से अब अजमेर डेयरी स्वंय के दूध का पाउडर बनाने के साथ ही नागौर, जयपुर, जोधपुर, बाड़मेर व दिल्ली की डेयरियों के दूध का पाउडर बना रही है। इससे अजमेर डेयरी को अतिरिक्त आय हो रही है वह आत्मनिर्भर भी बन रही है।
अजमेर डेयरी का 900 करोड़ का बजट पारित अजमेर डेयरी का वित्तीय वर्ष 2021-22 का 900 करोड़ बजट पारित किया गया है। जिले में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के बीएमसी/ एएमसीयू का डीजिटिलाईजेशन रील के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया। नवीन प्लांट में सीसी टीवी कैमरे लगाने,डेयरी में पिछले 30 वर्षो से नई भर्ती नहीं होने के कारण वर्तमान कार्मिकों की अधिवार्षिक आयु 60 से बढाकर 62 वर्ष करने का भी निर्णय लिया गया।
प्रशिक्षण के लिए भी बजट संघ की समितियों के दुग्ध उत्पादको का अजमेर डेयरी में भ्रमण एवं प्रशिक्षण के लिए 82.5 लाख का बजट पारित किया गया। मुम्बई भी पी रहा अजमेर का दूध
अजमेर जिले के अलावा अजमेर जिले का दूध अब दिल्ली के साथ ही मुम्बई के लोग भी पी रहे हैं। अजमेर डेयरी प्रतिदिन 50 हजार लीटर दूध महाराष्ट्र भेज रही है। इसके लिए अजमेर सरस डेयरी के प्रबन्धन एवं कोल्हापुर जिला सहकारी संघ के प्रबन्धन के बीच अनुबन्ध हुआ है। दूघ की खरीद में 1 लाख लीटर तक बढ़ोतरी की जाएगी। यह समझौता अजमेर डेयरी के लिय मील का पत्थर होगा। मुम्बई के अलाव गुजरात व हरियाणा के बल्क कंज्यूमर भी अजमेर डेयरी से दूध खरीदते हैं।
1972 से शुरु हुआ डेयरी का सफर अजमेर डेयरी का सफर 17 अगस्त 1972 से शुरु हुआ। तब ग्राम कोटड़ी में पंचायत समिति भिनाय में 34 लीटर दूध संकलन से हुई। इसे डेयरी के सिविल लाइन स्थित कार्यालय में 1 लीटर के पैमाने पर वितरण शुरु हुआ। आज डेयरी ने जिले में वटवृक्ष का रूप ले लिया है। शुरुआती दिनों में 25 हजार लीटर से डेयरी की शुरुआत की गई। बाद में 1.5 लाख लीटर से अब 10 लाख लीटर दूध प्रोसेसिंग की क्षमता हासिल की जा चुकी है। अजमेर डेयरी दिल्ली को बर्फ की सिल्लियों के रूप में दूध को जमा कर भेजती थी।
30 साल से चौधरी के हाथ में कमान अजमेर डेयर के अध्यक्ष पद पर पिछले 30 साल से रामचन्द्र चौधरी काबिज है। पशुपालकों व किसानों पर उनकी पकड़ के चलते वे 1990 से लगातार 6 बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। डेयरी का नया प्लांट भी चौधरी की ही देन है।