History: ये है अजमेर का जिब्रॉल्टर, समेटे है हजारों साल का इतिहास
कई युद्ध झेलने के कारण इसे यूरोप की तर्ज पर अजमेर का जिब्रॉल्टर भी कहा जाता है। तारागढ़ से पूरे अजमेर का खूबसूरत नजारा दिखता है। यहां से अजमेर एक शुगर बाउल (कटोरे) की तरह दिखता है।

अजमेर.
अरावली-नागहाड़ पर तारागढ़ किला या गढ़ बीठली बना हुआ है। यह अजमेर और राजस्था का गौरव है। किले की स्थापना अजयराज चौहान ने 11 वीं शताब्दी में की थी। यह समुद्रतल से करीब 970 मीटर ऊपर है। 1193 ईस्वी में पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच युद्ध हुआ। बाद में किला गौरी ने हथिया लिया था।
इसके बाद यह किला एक हजार साल तक चौहानवंश, मुगल सम्राटों, मालवा और मराठों के अधीन रहा। 18 वीं शता्रब्दी से 1947 तक यह अंग्रेजों के कब्जे में रहा खा। कई युद्ध झेलने के कारण इसे यूरोप की तर्ज पर अजमेर का जिब्रॉल्टर भी कहा जाता है।
दिखता है पूरा अजमेर
तारागढ़ से पूरे अजमेर का खूबसूरत नजारा दिखता है। यहां से अजमेर एक शुगर बाउल (कटोरे) की तरह दिखता है। रेलवे का यहां पुराना भवन बना हुआ है। अगर यहां होटल खोला जाए तो सरकार और रेलवे को आय हो सकती है।
लैब में आउटडेट हुए उपकरण, इनसे कराते 21 वीं सदी की पढ़ाई...
रक्तिम तिवारी/अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का देश के श्रेष्ठ संस्थानों की सूची में स्थान बनाने का सपना पूरा होना मुश्किल है। अव्वल तो गिनती लायक शिक्षक एवं विद्यार्थी की कमी जिम्मेदार है। तिस पर विज्ञान संकाय के विभागों में हाईटेक और नई तकनीकी के उपकरण नहीं है। 25 साल पुराने कई उपकरण आउटडेट हो चुके हैं। फिर भी विवि लैब में इन्हें सजाए बैठा है।
विश्वविद्यालय में जूलॉजी, बॉटनी, प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री, माइक्रोबायलॉजी, पर्यावरण विज्ञान और रिमोट सेंसिंग विज्ञान संचालित हैं। इन विभागों की पिछले 30 साल से पृथक लैब हैं। सभी विभागों में राज्य सरकार-यूजीसी एवं राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान (रूसा) से मिले बजट से केमिकल, उपकरण और अन्य सामग्री की खरीद-फरोख्त होती है। लेकिन लैब में हाईटेक और नई तकनीक के उपकरणों को लेकर विवि के हालात बेहद दयनीय है।
अब पाइए अपने शहर ( Ajmer News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज