शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ने कहा कि 113 वर्ष बाद गांधी भवन पुस्तकालय का जीर्णोद्धार किया गया है। इस हाईटेक लाइब्रेरी में देश-विदेश के विख्यात लेखकों की किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। सभी पुस्तकों की ई-कैटलॉगिंग भी गई।
खास सॉफ्टवेयर में सभी पुस्तकों के लेखक, लेखन वर्ष और अन्य ब्यौरा मिल सकेगा। लाइब्रेरी के मुख्य कक्ष में वरिष्ठ नागरिकों के बैठने के लिए खास सुविधाएं मिलेंगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए सदस्यता सुविधा होगी।
कलक्टर आरती डोगरा ने कहा कि पुस्तकालय किसी भी शहर की पहचान होते हैं। आमजन का किताबों के जरिए एकदूसरे से जुड़ाव होता है। वैचारिक, सांस्कृतिक समृद्धता बढ़ती है। महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि नौजवानों, शहरवासियों को पुस्तकों का लाभ उठाना चाहिए। वे लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढऩे के अलावा 15 दिन के लिए घर पर भी ले जा सकेंगे। कम्प्यूटरों पर युवा और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी पुस्तकों का ऑनलाइन अध्ययन कर सकेंगे। गूगल एप से पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेंगी। लाइब्रेरी परिसर में नि:शुल्क वाई:फाई सुविधा भी मिलेगी। लाइब्रेरी में दुर्लभ पुस्तकों का संकलन उपलब्ध कराया गया है।
इनमें हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और अन्य भाषाओं की की प्राचीन पुस्तकें शामिल हैं। जिनमें अकबरनामा, बाबरनामा, कर्नल जेम्स टॉड और अन्य नामचीन लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध होंगी। ककवानी ने दिया अहम योगदान नगर निगम की तात्कालिक उपायुक्त ज्योति ककवानी ने लाइब्रेरी को तैयार कराने में खास योगदान दिया। उन्होंने हाइटेक लाइब्रेरी बनवाने में खास रुचि ली। पद पर नहीं रहते हुए भी नगर निगम की लाइब्रेरी के लिए पूरा समय दिया। यहां पुराने फर्नीचर का बेहतरीन तरीके से उपयोग किया गया है। महापौर गहलोत और आयुक्त हिमांशु गुप्ता ने भी ककवानी के कार्य को सराहनीय बताया। अतिरिक्त कलेक्टर अबू सूफियान चौहान, उपायुक्त करतार सिंह, पार्षद सुनील केन, चन्द्रप्रकाश बालोटिया, रमेश सोनी, द्रोपदी कोली, वरिष्ठ साहित्यकार बख्शीश सिंह आदि मौजूद थे।