केन्द्र व राज्य सरकार की कोरोना गाइड लाइन के चलते पिछले ढाई साल से छात्र-छात्राओं की शिक्षण व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। चालू सत्र में कुछ माह ऑफ लाइन शिक्षण व्यवस्था के चलते छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचे तो फिर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ कर दी गई। शहरी क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षण दिया जा रहा है तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई करवाई जा रही है। ऐसे में शिक्षण की समानता नहीं होने पर जिला समान परीक्षा योजना पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
कई निजी स्कूलों में यह मनमानी -ऑनलाइन शिक्षण का समय निर्धारित नहीं।
-सभी विषयों की ऑनलाइन क्लास अनवरत नहीं। -कम बच्चे जुडऩे पर बीच में क्लास ऑफ कर दी जाती है।
-पूर्ण तैयारी से नहीं पढ़ा रहे कई शिक्षक।
-डमी बच्चों के चलते बोर्ड कक्षाओं के सभी बच्चे नहीं जुड़ते क्लास में, शेष का नुकसान। सरकारी स्कूलों में यह आ रही परेशानी -शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग शिक्षण। -ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षक कक्षाओं में पढ़ा रहे।
-ऑफलाइन व ऑनलाइन में अलग-अलग शिक्षण।
-ऑफलाइन में बच्चों की उपस्थिति पर्याप्त।
-ऑनलाइन में आधी उपस्थिति। -सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क के चलते ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित सरकारी शिक्षक खुद कर रहे वीडियो अपलोड शिक्षा विभाग के शिक्षक खुद चेप्टर के वीडियो बनाकर अपलोड कर रहे हैं। इसमें किशनगढ़ ब्लॉक की शिक्षिका प्रीति शर्मा सहित कई शिक्षक कोरोना काल से ऑनलाइन शिक्षण भी करवा रहे हैं।
इनका कहना है सरकारी स्कूलों में स्माइल-2 प्रोग्राम के तहत ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की गई है। ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों में पढ़ाई करवाई जा रही है। अजय गुप्ता, एडीपीसी समसा