गर्भावस्था के दौरान उभरने वाली अस्थायी बीमारी जेस्टेशनल डायबिटीज को रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहल की है। इसके तहत हर गर्भवती महिला की समय-समय पर डायबिटीज जांच की जाएगी। इसके लिए ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट किए जाएंगे। चिकित्सा संस्थानों में 75 ग्राम ग्लूकोज पैकेट का वितरण भी किया जा रहा है।
यह है बीमारी गर्भावस्था के दौरान 10 से 20 प्रतिशत महिलाओं को खून में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ने से गर्भस्थ शिशु में डायबिटीज का खतरा बढ जाता है। इससे प्रसूता उच्च जोखिम वाली महिलाओं में शामिल हो जाती है जिसे जेेस्टेशनल डायबिटिज मलाइटस कहते हैं।
इस बीमारी से यह हैं खतरा -गर्भपात होने की संभावना अधिक होना।-पॉलीहाइड्रमनिओस झिल्ली का अग्रणी या प्रसव पूर्व टूटना। - दौरे पड़ना, पीपीएच और संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
नवजात शिशुओं में भी रहता है डर -शिशुओं की गर्भ में मृत्यु होना। -फीटल मेक्रोसोमिया - प्रसव के समय शिशु का कंधा फंसने के साथ मृत्यु होना। - सांस लेने में तकलीफ होना।
- रक्त में शुगर का कम होना। - जन्मजात विकृति, कैल्शियम की कमी होना। आशा सहयोगिनी करेंगी जागरूक गर्भवती महिलाओं की डायबिटीज जांच के लिए सभी चिकित्सा संस्थानों में ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट के लिए 75 ग्राम ग्लूकोज पैकेट का वितरण किया गया है। आशा सहयोगिनी इसके लिए गर्भवती महिलाओं को जागरूक करेंगी।
- डॉ. स्वाति शिन्दे, आरसीएचओमातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत भी गर्भवती महिलाओं की डायबिटीज जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इससे मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
- डॉ. के.के. सोनी, सीएमएचओ