श्रेयांस ने बताया कि उन्होंने निजी कंपनी में दो साल तक व्यवसाय सलाहकार के रूप में कार्य किया। इस दौरान 12 से 15 घंटे तक कार्य करने के बावजूद यह महसूस हुआ कि इससे केवल मुझे ही फायदा है। समाज और देश को कुछ नहीं दे पा रहा हूं। इस कारण आईएएस की परीक्षा देना तय किया। अपनी सफलता का कारण स्मार्ट पढ़ाई के तौर तरीकों को बताते हुए श्रेयांस ने कहा कि सुबह मंदिर जाकर संतों के दर्शन करता फिर दिन में योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई की।
पढ़ाई का तनाव हावी नहीं हो इसलिए सुबह-शाम घूमना और कभी-कभार खेल भी खेले। परिवार में दादा मदनसिंह कूमट जोधपुर में जिला शिक्षा अधिकारी के पद से 1990 में सेवानिवृत्त हुए। वहीं छोटे दादा रणजीत सिंह कूमट प्रशासनिक अधिकारी रहे। झालावाड़, अजमेर, कोटा कलक्टर रहने के बाद वर्ष 1995 में राजस्व मंडल अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। इसलिए घर में भी प्रशासनिक सेवा के प्रति रुझान रहा है।