अजमेर

सब कर रहे हैं भजन, रामजी के खेत खा रही चिडिय़ा…

कई जगह जमीन पर कब्जे कर लिए हैं। इन्हें छुड़ाना विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं है।

अजमेरMay 25, 2019 / 09:07 am

raktim tiwari

mds univeristy ajmer

रक्तिम तिवारी/अजमेर.
रामजी की चिडिय़ा रामजी का खेत, खाओ री चिडिय़ा भर-भर पेट…कहावत महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय परसटीक बैठती है। सरकार से मिली 700 एकड़ से ज्यादा जमीन की विश्वविद्यालय को परवाह नहीं है। अतिक्रमियों ने कई जगह जमीन पर कब्जे कर लिए हैं। इन्हें छुड़ाना विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं है। कब्जे वाली जमीन कई टुकड़ों में करीब 70 बीघा है।
विश्वविद्यालय की स्थापना 1987 में हुई थी। तत्कालीन भैरोसिंह शेखावत सरकार ने 1989-90 में विश्वविद्यालय को कायड़ रोड पर 700 एकड़ भूमि आवंटित की। 1990 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति (बाद में राष्ट्रपति) डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने इसका शिलान्यास किया। अपनी जमीन को लेकर विश्वविद्यालय शुरू से ही बेफिक्र रहा। इसका फायदा उठाकर अतिक्रमी कई जगह जमीन हथिया चुके हैं।
बीकानेर-जनाना अस्पताल जाने वाली रोड पर विश्वविद्यालय की जमीन पर सर्वाधिक कब्जे हुए हैं। इनमें कई निजी और सामाजिक, धार्मिक संस्थान और आम लोग शामिल है। इसी तरह स्टाफ कॉलोनी के पीछे भी जमीन पर कब्जे हो चुके हैं। यहां तो विश्वविद्यालय की चारदीवारी तोडकऱ आम रास्ता भी बना हुआ है। अतिक्रमी करीब 70 बीघा जमीन को निगल चुके हैं।
लोगों ने तोड़ दिए गेट

विश्वविद्यालय के सहायक अभियंता कार्यालय ने जमीन की पैमाइश भी कराई। इसके लिए सेवानिवृत्त गिरदावर, पटवारी की सेवाएं ली गई। अजमेर-पुष्कर रेलवे लाइन के पीछे वाले जमीन पर चारदीवारी बनाकर गेट लगवाए गए। लेकिन अतिक्रमियों ने गेट तोड़ दिए। एक विवाह समारोह स्थल के निकट भी विश्वविद्यालय का करीब 1 हजार वर्ग गज जमीन है। इस पर अतिक्रमियों की निगाहें टिकी हैं। कुछ संस्थाओं ने अपनी आवाजाही के रास्ते भी विश्वविद्यालय की जमीन से निकाल लिए हैं।
विश्वविद्यालय की जमीन पर रेल लाइन
अजमेर-पुष्कर रेलवे लाइन भी विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार वाले पहाडकऱ को काटकर निकाली गई है। तत्कालीन कुलसचिव किशोर कुमार ने रेलवे को जमीन का मुआवजा या जमीन के बदले जमीन देने का पत्र भी भेजा, पर मामला वहीं ठप हो गया। उनके जाने के बाद पत्रावली आगे नहीं बढ़ाई गई है।
जयपुर रोड पर भी कब्जे

जयपुर रोड पर राजस्व प्रशिक्षण केंद्र के निकट विश्वविद्यालय की जमीन है। यहां भी अवैध दुकानें और बाड़े बन चुके हैं। विश्वविद्यालय ने पुलिस अथवा जिला प्रशासन से सहयोग लेकर अतिक्रमियों से जमीन खाली कराने और कार्रवाई का प्रयास नहीं किया है। हथियाई गई जमीन करोड़ों रुपए की है।

Home / Ajmer / सब कर रहे हैं भजन, रामजी के खेत खा रही चिडिय़ा…

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.