एसीबी की पड़ताल में सामने आया कि बंदियों को सुविधा मुहैया कराने वाले जेल कर्मचारी व सजायाफ्ता बंदी एक गिरोह की तरह काम कर रहे थे। जेल में बंदी को बाजार में 1500 रुपए में मिलने वाला की-पैड वाला मोबाइल फोन 6000 रुपए और 10 से 12 हजार रुपए वाला एन्ड्रोइड टच स्क्रीन मोबाइल 20 हजार रुपए में बेचा जाता था। हालांकि बंदियों में की-पैड मोबाइल की डिमांड ज्यादा है, ताकि जेल में बैरक की तलाशी या बात करते पकड़े जाने पर ज्यादा कुछ नुकसान नहीं उठाना पड़े। पकड़े जाने के बाद वे फिर से व्यवस्था के जरिए नया मोबाइल खरीद लेते।
आटे के कट्टे में आते मोबाइल
एसीबी पड़ताल में आया कि जेल रसोई (लंगर) की सप्लाई में आने वाले आटा, मैदा, बैसन, दाल जैसे पैकिंग कट्टे में मोबाइल समेत अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं भेजी जाती थीं।
एसीबी पड़ताल में आया कि जेल रसोई (लंगर) की सप्लाई में आने वाले आटा, मैदा, बैसन, दाल जैसे पैकिंग कट्टे में मोबाइल समेत अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं भेजी जाती थीं।
फिर हो जाती थी पैकिंग जेल में भेजी जाने वाली खाद्य सामग्री में सुरक्षित तरीके से मोबाइल समेत अन्य वस्तुएं रख दी जाती हैं। दीपक उर्फ सन्नी के लौंगिया स्थित मकान से एसीबी ने पैकिंग मशीन बरामद की। उसका भाई सागर व पोलू खाद्य सामग्री में अवैध सामान डालने के बाद पुन: पैक करने का भी काम करते थे।
100 गुना ज्यादा वसूली
ऐसे कई आपत्तिजनक उत्पाद हैं, जिनकी दर बाजार भाव से 100 गुना ज्यादा दर वसूली जा रही थी। बाजार में 15 रुपए में बिकने वाला बीड़ी का बंडल जेल में 1500 रुपए में बेचा जा रहा था। ऐसे ही सिगरेट पैकेट ढाई से 3 हजार रुपए में बिक रहा है। छह रुपए का गुटखा, पान मसाले का पाउच 600 रुपए में बिक रहा है। वसूली के खेल में बंदी और उसकी तलब देखकर रेट कम ज्यादा कर दी जाती है।
ऐसे कई आपत्तिजनक उत्पाद हैं, जिनकी दर बाजार भाव से 100 गुना ज्यादा दर वसूली जा रही थी। बाजार में 15 रुपए में बिकने वाला बीड़ी का बंडल जेल में 1500 रुपए में बेचा जा रहा था। ऐसे ही सिगरेट पैकेट ढाई से 3 हजार रुपए में बिक रहा है। छह रुपए का गुटखा, पान मसाले का पाउच 600 रुपए में बिक रहा है। वसूली के खेल में बंदी और उसकी तलब देखकर रेट कम ज्यादा कर दी जाती है।
ऊपर से नीचे तक बंटवारा सुविधा शुल्क के खेल में प्रतिमाह वसूले जाने वाले लाखों रुपए का बंदरबाट ऊपर से नीचे तक होता है। एसीबी मामले में जेल से जुड़े आलाधिकारियों की लिप्तता की पड़ताल में जुटी है। उल्लेखनीय है कि अजमेर सेन्ट्रल जेल में चलने वाले सुविधा शुल्क के खेल के संबंध में सीआईडी (जोन) ने भी गृह विभाग, पुलिस मुख्यालय व जेल प्रशासन को रिपोर्ट दी थी।
यूं होती थी वसूली
जेल में वसूली का खेल 3 तरह से संचालित है। जेल के भीतर के कैदी अपने बाहरी व्यक्ति के सम्पर्क में रहता है। उसके कहने पर बाहरी व्यक्ति बंदी के परिजन से सम्पर्क कर नकद रकम हासिल कर लेता है या फिर बंदी परिजन को बैंक खाते का नम्बर मुहैया करा देता है। परिजन रकम डाल देते हैं। एसीबी ने ऐसे बैंक खाते भी सीज किए हैं।
जेल में वसूली का खेल 3 तरह से संचालित है। जेल के भीतर के कैदी अपने बाहरी व्यक्ति के सम्पर्क में रहता है। उसके कहने पर बाहरी व्यक्ति बंदी के परिजन से सम्पर्क कर नकद रकम हासिल कर लेता है या फिर बंदी परिजन को बैंक खाते का नम्बर मुहैया करा देता है। परिजन रकम डाल देते हैं। एसीबी ने ऐसे बैंक खाते भी सीज किए हैं।
– जेल में विचाराधीन बंदी से वार्ड व बैरक में रखकर प्रताडऩा नहीं देने की एवज में भी वसूली का खेल चलता है। इसके अलावा नाली, टॉयलेट की सफाई व अन्य काम से बचाने के लिए भी सुविधा शुल्क वसूला जाता है।
– जेल में बंदियों को बैरक में मोबाइल, व्यसन की वस्तुएं मुहैया कराने की व्यवस्था का पैसा वसूला जाता है। किसका क्या काम दीपक उर्फ सन्नी : लौंगिया निवासी सन्नी दरगाह क्षेत्र में किराए पर होटल का संचालन करता था। नाबालिग से होटल में दुष्कर्म में सजा काट रहा है। सन्नी की पैरोल शुक्रवार को खत्म हुई। जेल पहुंचने से पहले एसीबी के हत्थे चढ़ा। भाई व रिश्तेदार के जरिए रंगदारी वसूली।
सागर व पोलू : सागर दीपक का छोटा भाई है व पोलू रिश्तेदार है। दोनों दीपक के इशारे पर जेल के बाहर बंदियों के परिजन से रकम वसूली करते हैं। शैतान सिंह : सरवाड़ का रहने वाला है। हत्या के मामले में सजायाफ्ता। 2015 से आजीवान कारावास की सजा काट रहा है। जेल में लंगर का इंचार्ज है। शुक्रवार को शैतानसिंह पैरोल पर निकलने वाला था। कार्रवाई के बाद पैरोल रुकी।
रमेश सिंह : शैतानसिंह का छोटा भाई। हत्या के मामले में जेल में है। वसूली के खेल में बड़े भाई के साथ। बरामद की आपत्तिजनक वस्तुएं जेल कर्मचारी संजयसिंह, केसाराम वर्तमान में अजमेर जेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग ले रहे थे। उनको दो माह पहले ही शिकायत पर हटाया गया था। एसीबी टीम ने उनके सामान की भी तलाशी ली, जिसमें कई प्रतिबंधित वस्तुएं बरामद की हैं, जबकि जेल कर्मचारी प्रधान बाना को भरतपुर लगाया गया था। वहीं अरुणसिंह चौहान को जयपुर से गिरफ्तार किया। वह भी जेल में सुविधा शुल्क वसूली के खेल में हिस्सेदार है।
एसपी राजीव पचार के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अजमेर चौकी सी. पी. शर्मा, मदनदानसिंह (अजमेर स्पेशल चौकी), उप अधीक्षक (अजमेर) महिपालसिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सौभाग्यसिंह, बृजराजसिंह (दोनों भीलवाड़ा), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (टोंक) विजयसिंह व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (जयपुर) आलोक शर्मा की टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया।