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मदस यूनिवर्सिटी हो जाना तो घर से खाना खाकर आना

locationअजमेरPublished: May 05, 2019 07:49:48 pm

Submitted by:

baljeet singh

नाम की कैंटीन : विद्यार्थियों और कर्मचारियों को भोजन के लिए करना पड़ता है बाहर का रुख

In MDS University poor canteen facility

मदस यूनिवर्सिटी हो जाना तो घर से खाना खाकर आना

अजमेर. विद्यार्थियों से पढ़ाई के बदले फीस और विकास शुल्क वसूलने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों या आवश्यक कार्यों के लिए आने वालों के लिए कैंटीन में खाने तक की सुविधा नहीं है। ऐसे में उनको भोजन के लिए बाहर का रुख करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। यहां नाममात्र के लिए कैंटीन संचालित हैं। उसका भी करीब तीन महीने पहले टेंडर खत्म हो चुका है।
विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 में आधुनिक कैंटीन बनवाई गई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा (तब मुख्य सचेतक) ने इसका उद्घाटन किया था। शुरुआत से कैंटीन कभी व्यवस्थित संचालित नहीं हो पाई। यहां कचोरी, समोसा, पेटिज, चाय-कॉफी ही उपलब्ध कराई गई। कई बार तो कैंटीन ठेका खत्म होने पर बंद भी हो चुकी है। इस बार भी पिछले तीन महीने से यह बंद पड़ी है। नहीं मिलता परिसर में खाना
विश्वविद्यालय परिसर में कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, प्रबंधन, विधि और बीएड संकाय के कोर्स संचालित हैं। यहां करीब 1100 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इसके अलावा करीब 250 कर्मचारी, 18 शिक्षक और 6 अधिकारी कार्यरत हैं।
परिसर में रोजाना दूसरे शहरों से कई विद्यार्थी या उनके परिजन, आगंतुक कामकाज के लिए आते-जाते हैं। इनमें से किसी को भूख लगे तो कैंटीन से उल्टे पांव लौटने के सिवा कोई चारा नहीं है। खाना खाने के लिए उन्हें परिसर से बाहर करीब दो से तीन किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है।
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केवल दिखावटी कैंटीन
परिसर में संचालित कैंटीन केवल दिखावटी है। यहां पेटिज, समोसा, बिस्किट, नमकीन, कचौरी, चाय के अलावा कुछ नहीं मिलता। विश्वविद्यालय का स्टाफ तो यहां आना भी पसंद नहीं करता। कर्मचारी अक्सर अजमेर-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित थडिय़ों पर चाय-कॉफी पीते हैं। भूख लगने पर विद्यार्थी या आगंतुक भी इन्हीं थडिय़ों पर कचौरी-समोसे खाकर पेट भरते हैं। कैंटीन में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है।
इस बारे में एनएसयूआई के छात्र नेता जितेंद्र गुर्जर का कहना है कि विश्वविद्यालय की कैंटीन सिर्फ नाममात्र के लिए चलती है। यहां विद्यार्थियों और बाहर से आने वालों को खाना नहीं मिलता। कई बार मांग उठाई गई, पर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। मजबूरी में खाने के लिए इधर-उधर जाना पड़ता है।
इन संस्थानों की शानदार कैंटीन

-राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर- भोजन और सभी फास्ट फूड
-जयनारायण व्याय विवि जोधपुर- भोजन और अन्य सामग्री।

-एम.एल. सुखाडिय़ा विवि उदयपुर- दाल, चावल, राजमा, रोटी और अन्य।
-जेएनयू दिल्ली-सभी फास्ट फूड और भोजन की थाली।
-निजी विश्वविद्यालय- भोजन, फास्ट फूड, साउथ इंडियन, चाइनीज आइटम

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